केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में जलसंसाधनों के उचित प्रबंधन हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. अगस्त माह में पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति और राहत कार्यों का जायजा और प्रधानमंत्री की गुवाहाटी यात्रा के बाद यह कदम उठाया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
प्रमुख तथ्य-
- समिति पनबिजली, कृषि, जैवविविधता संरक्षण, अपक्षरण, अंतरदेशीय जल परिवहन, वानिकी मछलीपालन और पारिस्थितिकी पर्यटन के रूप में उचित जल प्रबंधन के लाभों को बढ़ाने में सहायता देगी.
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय समन्वय कार्य करेगा. यह समिति कार्य योजना सहित अपनी रिपोर्ट जून 2018 तक केंद्र सरकार को प्रदान करेगी.
- जल संसाधनों का अधिकतम प्रबंधन बहुपक्षीय कार्य है और इसके लिए बहुक्षेत्रीय सक्रियता तथा ठोस रणनीति की आवश्यकता होगी. इसमें उपरी भाग में जलग्रहण क्षेत्रों का प्रबंधन शामिल है.
- ब्रह्मपुत्र और बराक नदी बाढ़ से प्रभावित होती है. ब्रह्मपुत्र विश्व की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है और अक्सर बाढ़ आने और कटाव होने से इस क्षेत्र को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
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समिति के विचार संबंधी तथ्य-
- समिति पूर्वोत्तर क्षेत्र के जल संसाधनों के प्रबंधन हेतु वर्तमान व्यवस्था/ संस्थागत प्रबंधों का मूल्यांकन करेगी.
- सामिति को पूर्वोत्तर क्षेत्र के जल संसाधनों के अधिकतम प्रबंधन हेतु वर्तमान व्यवस्था/ संस्थागत प्रबंधों में अंतरों की पहचान का दायित्व भी सौंपा गया है.
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास कार्यों में तेजी लाने हेतु समिति जल संसाधनों के अधिकतम दोहन के उद्देश्य से नीतिगत सुझाव देगी.
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल संसाधनों के अधिकतम प्रबंधन हेतु कार्य करने योग्य उपायों की व्याख्या भी समिति को करनी है.
- संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, उनसे सबंद्ध कार्यालयों, स्वशासी संस्थाओं की योजनाओं/ कार्यक्रमों को नया रूप देने हेतु कार्ययोजना तैयार करना और पूर्वोत्तर राज्यों की योजनाओं को नया रूप देना भी समिति के उत्तरदायित्व मव सम्मिलित है.
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समिति के बारे में-
- समिति में पूर्वोत्तर क्ष्ोत्र विकास मंत्रालय, सीमा प्रबंधन विभाग, अंतरिक्ष विभाग, विद्युत, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालयों के सचिव राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों के मुख्य सचिवों को शामिल किया गया है.
- यह समिति अन्य मंत्रालयों, विभागों के सचिवों तथा इस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त लोगों को विशेष आमंत्रित के रूप में बुला सकती है.
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