केंद्र सरकार द्वारा भारतीय न्यायालयों में पड़े लंबित मामलों को तेजी से निपटाने हेतु न्याय मित्रों की नियुक्ति की घोषणा की. अदालतों में 10 वर्ष से लंबित मामलों को निपटाने के लिए देश भर में न्याय मित्र नियुक्त किये जायेंगे.
केंद्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई भोसले व मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी मेनस्ट्रीमिंग ऑफ टेली लॉ सर्विस थ्रू कॉमन सर्विस सेंटर्स के शुभारंभ समारोह में हाइकोर्ट भवन में मौजूद थे.
मंत्री ने घोषणा की कि सेवानिवृत हो चुके न्यायाधीश ही न्याय मित्र बनाये जायेंगे. भारत की अदालतों में इस समय सात लाख पचास हज़ार से अधिक मामले लंबित पड़े हैं. इसके अतिरिक्त रवि शंकर ने कहा कि सरकार गरीब से गरीब व्यक्ति को भी त्वरित एवं उचित न्याय व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.
न्यायमित्र योजना में सेवानिवृत न्यायाधीश अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर लंबित मामलों की सुनवाई करेंगे तथा त्वरित न्याय सुनिश्चित करेंगे. यह न्याय मित्रों की जिम्मेदारी होगी कि वे न्याय मिलने में हो रही देरी से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करें.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि पैरा लीगल वालंटियर गरीबों की जरूरत बनें. उनको न्याय दिलाने के काम में तन और मन से लगें. उन्होंने कहा कि पैरा लीगल वालंटियर की संख्या 54,000 से बढ़ा कर 90,000 की जाएगी. विधि मंत्री ने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या बढ़ाकर 2 लाख 50 हज़ार कर दी गयी है. इन सेंटरों पर 300 तरह की सेवाएं दी जाती हैं.
जस्टिस दीपक मिश्रा के अनुसार याचिकाकर्ता के लिए पीएलवी को और भी अधिक सुगम बनाया जाना चाहिए. उन्होंने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में पीएलवी की संख्या 500 से बढ़ाकर 15000 की जा रही है.
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