प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 09 अक्टूबर 2019 को केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महंगाई भत्ता में पांच प्रतिशत बढ़ाने का घोषणा किया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ता (डीए) में पांच प्रतिशत बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है.
इसका फायदा 50 लाख सरकारी कर्मचारी तथा 62 लाख पेंशन पानेवाला व्यक्तियों को मिलेगा. केंद्र सरकार ने साल 2018 में केवल दो प्रतिशत डीए बढ़ाया था. पिछले कई दिनों से केंद्रीय कर्मचारी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे. सरकार ने 29 अगस्त 2018 को ही महंगाई भत्ता बढ़ाने का घोषणा कर दिया था. ये साल 2016 के बाद डीए में हुई सबसे बड़ी बढोतरी है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, इस फैसले से सरकार पर लगभग 16000 करोड़ रुपये का भार बढ़ेगा. अब डीए 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया गया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ के तहत आधार कार्ड की अनिवार्य लिंकिंग की डेडलाइन बढ़ाकर 30 नवंबर 2019 कर दिया गया है.
मुख्य बिंदु:
• केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता जुलाई 2019 से मिलेगा.
• सरकार ने बढ़ती महंगाई से निपटने हेतु केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया है.
• महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के सुझावों पर आधारित है.
• केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, आशा कर्मियों को दिया जाने वाला मानदेय एक हजार रुपये से बढ़ाकर दो हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है.
• इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी मिली.
महंगाई भत्ता दूसरी बार बढ़ा
महंगाई भत्ता (डीए) में बीते एक साल में यह दूसरी बार बढ़ा है. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के अंतिम महीनों में कर्मचारियों तथा पेंशनधारकों को मिलने वाला डीए 12 प्रतिशत कर दिया था. इससे पहले डीए 9 प्रतिशत मिलता था.
महंगाई भत्ता क्या होता है?
महंगाई भत्ता (डीए) वो होता है जो देश के सरकारी कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को अच्छा बनाने हेतु दिया जाता है. ये महंगाई भत्ता इसलिए दी जाती है, जिससे की महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में पैसे के कारण से कोई समस्या नहीं हो.
ये महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों तथा पेंशनधारकों को दिया जाता है. यह भत्ता कर्मचारी पर महंगाई का असर कम करने हेतु दिया जाता है. महंगाई भत्ते का गणना बेसिक के प्रतिशत के रूप में होती है.
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महंगाई भत्ते की शुरुआत
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. अविभाजित भारत के हजारों सैनिक उस समय अंग्रेजों के नेतृत्व में लड़ाई हेतु दूसरे देशों तक जाते थे. उन्हें इस दौरान खाने के लिए अतिरिक्त पैसे दिये जाते थे. उस समय इस पैसे को खाद्य महंगाई भत्ता (डियर फूड अलावेंस) कहा जाता था. जैसे-जैसे वेतन बढ़ता जाता था, इस भत्ते में भी वृद्धि होता था. भारत में सबसे पहले महंगाई भत्ते (डीए) की शुरुआत मुंबई के कपड़ा उद्योग में साल 1972 में हुई थी.
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