मौजूदा केंद्र सरकार ने 10 जून 2018 को नौकरशाही में प्रवेश पाने का अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अब बड़े अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना जरूरी नहीं होगा.
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं. बहुप्रतीक्षित लैटरल एंट्री की औपचारिक अधिसूचना सरकार की ओर से जारी कर दी गई है.
इन पदों पर नियुक्ति के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की गई. सरकार अब इसके लिए सर्विस रूल में जरूरी बदलाव भी करेगी.
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना
• डीओपीटी की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रटरी के पद पर नियुक्ति होगी.
• इनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा और यदि प्रदर्शन अच्छा हुआ तो पांच वर्ष तक के लिए इनकी नियुक्ति की जा सकती है.
• इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है.
• इनका वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला ही होगा तथा सारी सुविधा उसी अनुरूप ही मिलेगी.
• इन्हें सर्विस रूल की तरह काम करना होगा और दूसरी सुविधाएं भी उसी अनुरूप मिलेंगी.
• इस पद पर चयन के लिए केवल साक्षात्कार देना होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली समिति इनका साक्षात्कार लेगी.
• शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी। ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स.
योग्यता क्या निर्धारित की गयी है?
किसी मंत्रालय या विभाग में तैनात जॉइंट सेक्रटरी का पद काफी अहम होता है और तमाम बड़े नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है. योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं. आवेदन में योग्यता इस तरह तय की गई है कि 15 वर्ष का कार्यकारी अनुभव रखने वालों के लिए सरकार के उच्च नौकरशाह पदों के लिए सीधा प्रवेश मिल सकता है. आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जुलाई निर्धारित की गई है.
पृष्ठभूमि |
वर्ष 2005 में जब प्रशासनिक सुधारों के लिए पहली रिपोर्ट पेश की गई उस समय ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव रखा गया था. इसके बाद वर्ष 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई. हालांकि पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई. प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक समिति बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की. |
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