केंद्र सरकार ने केंद्रीय लोक उपक्रमों में काम कर रहे कार्यकारियों के वेतनमान में संशोधन के निर्णय के क्रियान्वयन के बाद उत्पन्न होने वाली संभावित समस्याओं और मुद्दों पर गौर करने के लिए ‘विसंगति समिति’ गठित की है. इसमें लोक उपक्रम विभाग, व्यय विभाग तथा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव शामिल हैं.
लोक उपक्रम विभाग द्वारा जारी ज्ञापन के मुताबिक विसंगति समिति का कार्यकाल 01 अगस्त 2017 से दो साल के लिए होगा. इसमें लोक उपक्रम विभाग, व्यय विभाग तथा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव शामिल हैं.
मंत्रिमंडल ने पिछले महीने लोक उपक्रमों में काम करने वाले निदेशक मंडल स्तर के अधिकारियों तथा निदेशक मंडल के नीचे काम कर रहे कार्यकारियों तथा उन अधिकारियों के वेतन में 15 प्रतिशत वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी जो यूनियन में शामिल नहीं है.
लोक उपक्रम विभाग के वर्ष 2015-16 के सर्वे के अनुसार देश में 320 केंद्रीय लोक उपक्रम हैं. इसमें सात बीमा कंपनियां शामिल नहीं हैं. कुल 320 लोक उपक्रमों से से 76 को वाणिज्यिक परिचालन शुरू करना अभी बाकी है. इन 320 केंद्रीय लोक उपक्रमों में 12.34 लाख कार्यरत थे. इसमें ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी शामिल नहीं हैं.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसके लिए तीसरी वेतन समीक्षा समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन को मंजूरी दी. आयोग ने वेतन में 15 फीसद वृद्धि की सिफारिश की जो अबतक की सबसे कम वृद्धि हैं. उच्च वेतमान 01 जनवरी 2017 से प्रभावी हो गया है.
केंद्र सरकार ने इससे पहले वर्ष 2007 में वेतन समीक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर वेतन में 37.2 फीसद वृद्धि को मंजूरी दी थी. हालांकि इससे पहले वेतन समीक्षा समिति की रिपोर्ट के आधार पर वेतन में 24 फीसद से 30 फीसद वृद्धि की मंजूरी दी थी.

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