उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हड़प्पाकालीन पुरावशेष मिले है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के सकतपुर में हड़प्पा की तरह बड़ी सभ्यता थी. यहां के लोग खान-पान में सिल-बंट्टा का प्रयोग करते थे. भट्टियों की तकनीक से परिचित थे. बच्चों के लिए खिलौने बनाते थे.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के उत्खनन में यहां चार हजार साल से भी पुराने मिंट्टी के बर्तन भी मिले हैं. अब एएसआइ इनके सही काल और प्रयोग का पता लगाएगा. सहारनपुर की रामपुर मनिहारन तहसील के सकतपुर मुस्तकिल में जुलाई 2016 में ईट भट्टे पर मिट्टी खोदने के दौरान आधा दर्जन ताम्र कुठार मिले थे.
इतिहास की दृष्टि से बहुमूल्य खजाना मिलने के बाद एएसआइ ने यहां खोदाई की योजना बनाई. वहां 75 मीटर लंबे और 22 मीटर चौड़े क्षेत्र को उत्खनन में खोदाई चल रही है.
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा.
यहां जो पुरावशेष अब तक मिले हैं, वह हड़प्पा सभ्यता के समकालीन हैं. एएसआइ के आगरा सर्किल ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में सकतपुर के उत्खनन का काम शुरू किया था. बाद में पांच से सात किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों को भी इस दायरे में शामिल कर लिया गया.
शुरुआत में यहां उत्खनन में गैरिक मृद्भांड पात्र (2000 ईसा पूर्व) मिले. इनमें मृद्भांड के टुकड़े, माला के टुकड़े, जानवरों की छोटी मूर्तियां, गाड़ियों के पहिए, सिल-लोढे़ आदि शामिल थे.
सकतपुर की उत्तर और दक्षिण दिशा में किए गए उत्खनन में अब बड़ी सफलता मिली है. यहां बड़ी भट्ठियां मिली हैं.
गांव के किनारे पर मिली भट्ठी 7.5 फीट लंबी और चार फुट चौड़ी है. दूसरी भट्ठी इससे थोड़ी छोटी है. इनके नजदीक एएसआइ ने उत्खनन शुरू करा दिया है. एएसआइ अब यह पता लगाएगा कि इतनी बड़ी भट्टियों का प्रयोग उस काल में किस कार्य के लिए किया जाता था.
प्रारंभिक रूप से माना जा रहा है कि ये धातु को पिघलाने या पॉटरी बनाने के काम में प्रयोग की जाती रही होंगी. इसकी सही जानकारी उत्खनन पूरा होने पर वहां मिलने वाले कार्बन पार्टिकल्स से हो सकेगी.
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