सरकारी विभागों में निचले स्तर की भर्तियों में साक्षात्कार खत्म करने के बाद अब प्रदेश सरकार ने अनुबंध आधार की नियुक्तियों में भी साक्षात्कार प्रणाली समाप्त करने की घोषणा की.
इन नियुक्तियों का पूरा अधिकार विभागाध्यक्ष के पास होगा. इसके लिए आउटसोर्सिंग पॉलिसी-2 में बदलाव किया गया है.
अभी तक विभागाध्यक्ष स्वीकृत पदों पर एक वर्ष के लिए अनुबंध आधार पर कर्मचारियों की भर्ती की जा सकती थी लेकिन इसके लिए साक्षात्कार आवश्यक था. दो वर्ष के लिए स्वीकृत नियमित पदों पर भर्ती के लिए वित्त विभाग से मंजूरी लेनी पड़ती थी. अब सरकार ने साक्षात्कार की शर्त और वित्त विभाग से अनुमति लेने के नियम में बदलाव कर दिया है.
नई पॉलिसी के अनुसार अनुबंधित पदों पर किसी भी विभाग का मुखिया बगैर किसी साक्षात्कार के भर्तियां कर सकता है. इसके लिए सरकार की ओर से सभी प्रशासनिक सचिव, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्त, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, उपायुक्तों और बोर्ड-निगमों के निदेशकों को लिखित आदेश जारी किए गए हैं.
पृष्ठभूमि
वर्ष 2015 में केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा गया कि वे भ्रष्टाचार को रोकने और गरीब और संसाधनहीन छात्रों की समस्या को काफी कम करने के लिए निचले स्तर के चिह्नित पदों के लिए साक्षात्कार (इंटरव्यू) लेने की प्रथा को समाप्त करें. केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस संबंध में पत्र लिखकर इस तरह के पदों की पहचान करने को कहा, जिनसे साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त किया जा सकता है. यह कदम तब उठाया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इस तरह का सुझाव दिया था.
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