पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गाज़ियाबाद जिला आज प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक और शहरी केंद्र बन चुका है, ऐतिहासिक रूप से भी बेहद समृद्ध रहा है। दिल्ली से सटा यह शहर आधुनिकता के साथ-साथ एक गौरवशाली अतीत को भी संजोए हुए है। यहां आप इसके इतिहास और नामकरण से जुड़ी अहम जानकारियां देखेंगे.
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गाजीउद्दीननगर: गाजियाबाद का मूल नाम
गाज़ियाबाद का पुराना नाम गाजीउद्दीननगर था, जो मुग़ल काल के एक प्रभावशाली सूबेदार गाजी-उद-दीन के नाम पर रखा गया था। 1740 में उन्होंने हिंडन नदी के किनारे इस क्षेत्र को बसाया और इसका नाम अपने सम्मान में गाजीउद्दीननगर रखा।
गाजी-उद-दीन खान कौन था?
गाजी-उद-दीन खान मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में दिल्ली के एक प्रतिष्ठित नवाब थे। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रशासनिक और सैन्य गतिविधियों के चलते एक नई बस्ती की स्थापना की, जो कालांतर में उनके नाम से प्रसिद्ध हुई। यह क्षेत्र मुगल प्रशासन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था।
गाजीउद्दीननगर से गाज़ियाबाद तक का सफर
रेलवे स्टेशन के निर्माण के समय इस क्षेत्र का नाम छोटा कर ‘गाज़ियाबाद’ रख दिया गया। यह नाम धीरे-धीरे प्रचलन में आ गया और आज तक कायम है। गाज़ियाबाद न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे राज्य में एक अहम पहचान बन चुका है।
जिला बनने की ऐतिहासिक तारीख
गाज़ियाबाद को 14 नवंबर 1976 को मेरठ तहसील से अलग कर एक स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। इससे पहले यह मेरठ का ही एक हिस्सा हुआ करता था। जिला बनने के बाद इस क्षेत्र ने तेजी से औद्योगिक, शैक्षणिक और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास किया।
गाज़ियाबाद की पहचान सिर्फ एक औद्योगिक नगर के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक विरासत वाले शहर के रूप में भी है। मुगल शासन से लेकर आधुनिक भारत तक, इसका सफर गौरवपूर्ण रहा है।
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