लखनऊ, उत्तर भारत के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहरों में से एक है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध, लखनऊ का अतीत भी उतना ही गौरवशाली रहा है। आइए जानते हैं लखनऊ का पुराना नाम, उसके इतिहास और नामकरण की पौराणिक मान्यताओं के बारे में।
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लखनऊ का प्राचीन नाम
Old Name of Lucknow: लखनऊ का सबसे पुराना और व्यापक रूप से स्वीकार किया गया नाम "लक्ष्मणपुर" था। यह नाम रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इस क्षेत्र की नींव रखी थी और इसी कारण इसे 'लक्ष्मणपुर' या 'लक्ष्मणावती' कहा जाने लगा। कई ऐतिहासिक ग्रंथों और किंवदंतियों में भी इसका उल्लेख मिलता है।
मुस्लिम शासनकाल में नाम का परिवर्तन
12वीं से 18वीं शताब्दी तक, जब उत्तर भारत में मुस्लिम शासन स्थापित हुआ, तब लक्ष्मणपुर नाम धीरे-धीरे बदलकर लखनपुर और फिर लखनऊ में परिवर्तित हो गया। ऐसा माना जाता है कि इसे शासकों द्वारा आसान उच्चारण और स्थानीय बोली के अनुसार बदला गया। नवाबों के दौर में "लखनऊ" नाम व्यापक रूप से इस्तेमाल में आया और तब से यह नाम स्थायी रूप से प्रसिद्ध हो गया।
अवध से जुड़ा इतिहास
लखनऊ ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र का एक अहम हिस्सा रहा है। 18वीं शताब्दी में जब नवाबों ने इसे अपनी राजधानी घोषित किया, तब यह शहर कला, संस्कृति, संगीत, उर्दू शायरी और तहज़ीब का केंद्र बन गया। इसी दौर में ‘लखनऊ’ सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक पहचान के रूप में उभर कर सामने आया।
नाम से जुड़ी ऐतिहासिक मान्यताएं
लक्ष्मणपुर नाम से जुड़ी मान्यता यह भी है कि लक्ष्मण ने यहाँ एक किला बनवाया था, जिसे आज "लक्ष्मण टीला" के रूप में जाना जाता है। यह स्थल आज भी लखनऊ में स्थित है और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि यह टीला ही लखनऊ के प्राचीन मूल का प्रमाण है।
लखनऊ केवल एक नाम नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, पौराणिक इतिहास और नवाबी रिवायतों का संगम है। "लक्ष्मणपुर" से "लखनऊ" तक का यह सफर इस शहर के गौरवशाली अतीत का प्रमाण है।
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