गलवान युद्ध या गलवान घाटी की झड़प इन दिनों चर्चाओं में है। वजह है, बॉलीवुड में इसे लेकर फिल्म बन रही है, जिसका हाल ही में एक टीजर भी आउट हुआ है। यह फिल्म वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है। गलवान का युद्ध भारतीय इतिहास में कभी न भुलाया जाने वाला युद्ध है, जिसमें भारतीय सैनिकों ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मनों की आंंखों में आंखें डालकर बिना हथियार के सैन्य युद्ध किया था।
कब हुआ था गलवान युद्ध
गलवान का युद्ध या गलवान घाटी की झड़प साल 2020 में भारत और चीन के बीच हुई थी। यह 1967 में दोनों देशों के बीच हुए टकराव के बाद सबसे बड़ा हिंसक टकराव था।
क्या है गलवान घाटी
गलवान घाटी का नाम लद्दाख के एक प्रसिद्ध खोजकर्ता रहे गुलाम रसूल गलवान के नाम रखा गया है। उन्होंने 19वीं सदी में नदी के स्रोत के रूप में इसकी खोज की थी। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में है। गलवान घाटी अक्साई चीन और भारत के बीच वास्तिक नियंत्रण रेखा पर स्थित है। वहीं, यहां से दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी की सड़क भी जाती है।
क्या थी झड़प की पृष्ठभूमि
साल 2020 में हुई झड़प की पृष्ठभूमि 1962 के भारत-चीन युद्ध से जुड़ी बताई जाती है। उस समय युद्ध के दौरान भी गलवान घाटी संघर्ष का मुख्य केंद्र रही थी। चीन ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की थी, लेकिन युद्ध के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा का निर्धारण हुआ। हालांकि, यहां चीन की घुसपैठ जारी रही।
कैसै हुई थी हिंसक झड़प
दोनों सेनाओं के बीच झड़प की पृष्ठभूमि मई, 2020 से ही बन गई थी। इसके बाद 15 जून, 2020 की रात दोनों सेनाओं की बीच पीछे हटने की प्रक्रिया चल रही थी। इस दौरान बिहार रेजिमेंट के भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों की स्थिति देखने के लिए पहुंचे और वहां विवाद हो गया।
बिना गोलियों के हुआ था युद्ध
इस युद्ध में 1966 के समझौते का ध्यान रखा गया था। ऐसे में सीमा पर गोलियों का इस्तेमाल नहीं किया गया, लेकिन चीनी सैनिकों ने कटीले तारों से लिपेट डंडे, पत्थर और लोहे की रोड का इस्तेमाल कर भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।
भारतीय सैनिकों की हुई शहादत
गलवान घाटी के युद्ध के दौरान भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवानों की शहादत हुई थी। वहीं, युद्ध में चीन को भी नुकसान पहुंचा था। चीन ने इस युद्ध को लेकर लंबे समय तक चुप्पी साधे रखी थी, लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया था कि उसके सैनिक भी मारे गए हैं। रूसी एजेंसी टास के मुताबिक, चीन के 40 से अधिक सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे।
क्या हुए थे युद्ध के परिणाम
इस घटना के बाद भारत की ओर से कई चीनी ऐप्स पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया था। साथ ही, चीनी निवेश पर भी जांच शुरू हुई थी। भारतीय सेना की ओर से ऑपरेशन स्नो लेपर्ड चलाकर कई महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक पहाड़ियों पर तैनाती बढ़ाई गई थी।
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