भारत में नदियों का विशेष महत्त्व है। यहां नदियां न सिर्फ पीने के पानी तक सीमित हैं, बल्कि इनका आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक महत्त्व भी अधिक है। भारत में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि आपको नदियों के घाटों पर इनकी आरती होते हुए दिख जाएगी।
यूं, तो भारत में नदियों की संख्या हजारों में है, लेकिन इनमें से कुछ नदियां प्रमुख हैं, जो कि अपनी अलग-अलग विशेषताओं की वजह से जानी जाती हैं। इस कड़ी में भारत में एक ऐसी नदी भी है, जिसका आधा पानी खारा और आधा पानी मीठा है। कौन-सी है यह नदी, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
कौन-सी नदी है आधी खारी और आधी मीठी
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि कौन-सी नदी आधी खारी और आधी मीठी है। आपको बता दें कि यह लूनी नदी है।
क्या है नाम का अर्थ
लूनी नदी का नाम संस्कृत शब्द ‘लवणवारी’ से लिया गया है। इसके शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो इसका अर्थ नमकीन नदी से है।
किस प्रकार है आधा खारा और मीठा पानी
लूनी नदी का उद्गम स्थल अजमेर में नाग पहाड़ियों से होता है। यहां से निकलने के बाद यह नदी बाड़मेर जिले के बालोतरा तक पहुंचती है। यहां तक इस नदी का पानी मीठा है। हालांकि, बालोतरा तक पहुंचने के बाद इसमें रेगिस्तान की मिट्टी मिक्स हो जाती है। ऐसे में मिट्टी में मौजूद नमक पानी में मिल जाता है, जिससे इसका पानी खारा हो जाता है।
कितनी लंबी है लूनी नदी
लूनी नदी राजस्थान और गुजरात को मिलाकर कुल 495 किलोमीटर का रास्ता तय करती है। यह राजस्थान के अजमेर जिले की नाग पहाड़ियों से निकलती है। यहां से निकलने के बाद यह नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर और जालौर जिलों से बहती है और गुजरात में प्रवेश कर जाती है।
समुद्र या महासागर में नहीं गिरती है नदी
आपको बता दें कि लूनी नदी भारत की उन गिनी-चुनी नदियों में शामिल है, जो कि किसी सागर यहा महासागर में नहीं गिरती हैं। यह नदी राजस्थान से निकलने के बाद गुजरात के कच्छ के रण में दलदली भूमि में मिल जाती है। इस नदी का राजस्थान के लिए अधिक महत्त्व है, क्योंकि रेगिस्तानी इलाकों में पानी आपूर्ति के लिए उपयोगी है। वहीं, प्राचील काल में महाकवि कालीदास ने इस नदी को अंत-सलीला नाम से पुकारा था।
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