उत्तराखंड उच्च न्यायलय ने राज्य के सभी पहाड़ी स्टेशन और ग्लेशियरों को पर्यावरण संवेदनशील (इको सेंसिटिव) घोषित करने के आदेश दिए हैं. न्यायलय ने इस प्रक्रिया हेतु सरकार को 3 महीने का समय दिया है.
न्यायलय ने गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियरों के 25 किमी के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के आदेश भी दिए.
उच्च न्यायलय के आदेश-
- उच्च न्यायलय में न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ के आदेश के अनुसार ग्लेशियर घूमने आने वाले पर्यटकों पर टैक्स लगाने के साथ ही उनके आवागमन की संख्या को भी नियंत्रित करने के आदेश किए.
- उच्च न्यायल ने गंगा और यमुना नदी के किनारे सभी नगर निकायों और नगर पंचायतों को 6 महीने के भीतर सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र लगाने और सरकार को प्रत्येक 24 घंटे में पानी की क्वॉलिटी जांचने के भी निर्देश दिए हैं.
- उच्च न्यायल ने भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, नैनीताल और खुर्पाताल के चारों ओर 2 किमी और 5 किमी के क्षेत्र में सभी प्रकार के निर्माण और वृक्षों की कटाई पर रोक लगा दी है.
- न्यायालय ने यह भी सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं कि गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियरों के 10 किमी के क्षेत्र में कोयले या अन्य किसी प्रकार का जीवाश्म ईंधन नहीं जलाया जाए.
- जिलाधिकारी और झील विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष को इस आदेश पर तत्काल प्रभाव से अमल कराने का आदेश जारी किया गया है.
पृष्ठभूमि-
- इस मामले में एक जनहित याचिका उच्च न्यायल में दायर की गयी थी. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायल ने यह आदेश एपारित किए.
- जनहित याचिकाके बारे में-
- जनहित याचिका में नैनीताल के आसपास अवैध निर्माण और वृक्षों के अवैध रूप से कटाई पर रोक लगाने हेतु अदालत से दखल का अनुरोध किया है.
- याचिका में वृक्षों की कटाई और अवैध निर्माण को रोकने में प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया.
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