हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) ने 10 अगस्त 2016 को घाटशिला, झारखंड में भारतीय कॉपर कॉम्प्लेक्स में निकेल, कॉपर और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के एसिड रिकवरी प्लांट का उद्घाटन किया.
भारत में इस तरह का यह प्रथम रिकवरी प्लांट है जो प्राथमिक संसाधनों से एलएमई ग्रेड की निकेल धातु का उत्पादन करेगा.
प्लांट की मुख्य विशेषताएं-
• इस परियोजना में पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा और लेड का उपयोग प्रदूषण की जाँच भी की जा सकेगी.
• इससे तरल प्रवाह के प्रभाव को कम कर देगा. इसमे कम ऊर्जा की खपत होगी.
• ठोस अपशिष्ट 75 प्रतिशत तक कम उत्पन्न होंगे.
• कार्य करने हेतु सुरक्षित वातावरण प्रदान मिलेगा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उपयोग बढेगा.
• वर्तमान में संयंत्र की क्षमता 50 लाख टन प्रति वर्ष है. वर्तमान उत्पादन के दृष्टिगत सुरदा माइंस से विचार किया जा रहा है.
• घाटशिला में स्थित परियोजनाओं के पूरा होने के बाद निकल उत्पादन में आठ गुना वृद्धि का अनुमान है.
पृष्ठभूमि-
• भारत में शुद्ध निकिल की वार्षिक मांग 45000 मीट्रिक टन के आसपास है और देश में इसका बाजार पूरी तरह से आयात पर निर्भर है.
• वर्तमान में, कॉपर ब्लीड इलेक्ट्रोलाइट से तैयार किया जाता है. कैथोड में केवल 50-90 प्रतिशत तांबा सामग्री तैयार हो पाता है. 50-60 प्रतिशत तांबा तैयार करने की सामग्री के साथ बर्बाद हो जाता है.
• इस प्रक्रिया में लगभग 30 मीट्रिक टन एलएमई-ए ग्रेड कॉपर स्टार्टर प्रतिवर्ष उपभोग किया जाता है.
• प्रस्तावित परियोजना में पुरानी पद्धति को ईएमईडब्ल्यू (EMEW) और एपी यू (APU) प्रौद्योगिकी में परिवर्तित किया जाएगा.
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