इस वैश्विक वित्तीय संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, उनकी मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ अगले साल जनवरी में अपनी वर्तमान पोस्ट छोड़ देंगी और प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वापिस लौट जाएंगी.
ये 49 वर्षीय प्रमुख भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री जनवरी, 2019 में मुख्य अर्थशास्त्री के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल हुई थीं.
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जब वे वाशिंगटन स्थित इस वैश्विक ऋणदाता संगठन में शामिल हुईं, तब वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र की जॉन ज़्वानस्ट्रा प्रोफेसर थीं.
भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी
मैसूर में जन्मी गीता गोपीनाथ IMF की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री रही हैं.
दिसंबर, 1971 में मलयाली माता-पिता के घर जन्मी, सुश्री गोपीनाथ की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई और उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक की डिग्री हासिल की है. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ-साथ वाशिंगटन विश्वविद्यालय से परास्नातक की डिग्री भी हासिल की है.
सुश्री गोपीनाथ ने 2001 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में PHD की थी और उन्हें केनेथ रोगॉफ, बेन बर्नानके और पियरे-ओलिवियर गौरींचस द्वारा निर्देशित किया गया था.
वर्ष, 2005 में हार्वर्ड जाने से पहले वे वर्ष, 2001 में शिकागो विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के तौर पर शामिल हुईं. वे वर्ष, 2010 में वहां एक कार्यरत प्रोफेसर बन गईं थीं.
वे हार्वर्ड के इतिहास में अपने सम्मानित अर्थशास्त्र विभाग में एक कार्यरत प्रोफेसर होने वाली तीसरी महिला हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद, यह पद संभालने वाली पहली भारतीय भी हैं.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने असाधारण आधार पर उनकी अनुपस्थिति की छुट्टी को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था, जिससे उन्हें तीन साल के लिए IMF में मुख्य अर्थशास्त्री के तौर पर सेवा करने की अनुमति मिली है.
मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ के बारे में IMF के प्रमुख बयान
IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने 19 अक्टूबर, 2021 को यह घोषणा की थी कि, गीता गोपीनाथ के उत्तराधिकारी की तलाश शीघ्र ही शुरू होगी.
सुश्री जॉर्जीवा ने यह भी कहा, "निधि और हमारी सदस्यता में गीता का योगदान वास्तव में उल्लेखनीय है – आसान शब्दों में, IMF के काम पर उनका प्रभाव जबरदस्त रहा है."
IMF ने यह कहा कि, अपनी कई महत्वपूर्ण पहलों के हिस्से के रूप में, सुश्री गोपीनाथ ने "महामारी पेपर" का सह-लेखन किया कि, कैसे COVID-19 महामारी को समाप्त किया जाए, जिसने दुनिया को टीकाकरण के लिए विश्व स्तर पर समर्थित लक्ष्य निर्धारित करने में मदद प्रदान की है.
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IMF ने अपने एक बयान में यह भी कहा है कि, गीता गोपीनाथ के इस काम के कारण IMF, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व से बनी बहुपक्षीय टास्क फोर्स का निर्माण हुआ ताकि कोरोना वायरस महामारी को समाप्त करने में मदद मिल सके और वैक्सीन निर्माताओं के साथ एक कार्य समूह की स्थापना की जा सके ताकि व्यापार बाधाएं, आपूर्ति में बाधाएं और निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में टीकों की डिलीवरी में तेजी लाई जा सके.
उनकी अन्य प्रमुख उपलब्धियों के बारे में बताते हुए IMF ने यह कहा कि, सुश्री गोपीनाथ ने अन्य बातों के अलावा, इष्टतम जलवायु शमन नीतियों का विश्लेषण करने के लिए IMF के अंदर एक जलवायु परिवर्तन टीम स्थापित करने में मदद की है.
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