भारत पहली बार ‘अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास’ शुरू करने के लिए तैयार है. ‘मिशन शक्ति’ की सफलता के बाद, भारत पहली बार अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास शुरू करने के लिए तैयार है. अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास के बाद ‘संयुक्त स्पेस सिद्धांत’ भी लॉन्च किया जा सकता है.
इस अभ्यास का संचालन रक्षा मंत्रालय के तीनों सेनाएं करेगी. सेनाएं ऐसी किसी भी घटना की भविष्य की योजना तैयार करने के लिए मिलकर काम करेंगी. यह युद्धाभ्यास 25 और 26 जुलाई को होगी. यह पूरा कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार तैयार किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष युद्ध अभ्यास को ’IndSpaceEx’ नाम दिया गया है. मार्च 2019 में, भारत ने विश्व को दिखाया कि जब वह पृथ्वी की निचली कक्षा में एक मिसाइल को मार गिराता है तो उसके पास उपग्रह-रोधी क्षमता होती है.
'IndSpaceEx' का उद्देश्य
भारतीय सशस्त्र बलों को ‘IndSpaceEx’ अभ्यास के तहत अंतरिक्ष में युद्ध क्षेत्र का परीक्षण करने में मदद मिलेगा. यह जाँच करेगा कि भारतीय आसमान की रक्षा हेतु एंटी सैटेलाइट वेपन (ASAT) क्षमताओं का उपयोग कैसे किया जा सकता है. यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब चीन इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है. चीन अभी एशिया अंतरिक्ष में काफी सक्रिय है. इस स्थिति में भारत को ऐसा युद्ध अभ्यास करना बहुत ही जरुरी था.
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एंटी सैटेलाइट वेपन (ASAT) क्या है?
• एंटी सैटेलाइट वेपन (ASAT) सैटेलाइट को नष्ट करने या निष्क्रिय करने के लिए उपयोग किया जाता है. भारत के अतिरिक्त अमेरिका, चीन और रूस के पास यह क्षमता है.
• अमेरिका ने पहली बार साल 1958, रूस ने साल 1964 और चीन ने साल 2007 में ASAT का परीक्षण किया था.
• रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने फरवरी 2010 में घोषणा की थी कि भारत अंतरिक्ष में डिफेंस सिस्टम विकसित करने के लिए एक हथियार बनाने हेतु आवश्यक तकनीक विकसित कर रहा है.
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