भारत और चीन के बीच 26 मार्च 2018 को संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक नई दिल्ली में सम्पन्न हुई. इस बैठक के एजेंडे में दोतरफा व्यापार एवं वाणिज्य को आगे बढ़ाने के तौर-तरीकों के साथ ही व्यापार घाटे को कम करने की भारत की मांग शामिल है.
बैठक में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और चीन के मंत्री झोंग शान तथा दोनों देशों के वरिष्ठी अधिकारी शामिल हुए.
संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक से संबंधित मुख्य तथ्य:
• भारत, चीन के साथ भारी व्यांपार असंतुलन का मुद्दा बार-बार उठाता रहा है और बैठक में भारत ने पुरजोर तरीके से इस मुद्दे को उठाया.
• सुरेश प्रभु ने चीन में तिलहन, सोयाबीन, बासमती और गैर-बासमती चावल, फलों, सब्जियों और चीनी जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाजार की उपलब्धता की मांग की.
• भारत ने दवाइयों और सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में भारतीय निर्यात सुचारु बनाने के उपायों की भी मांग की.
• चीन के मंत्री झोंग शान ने चीन में भारतीय निवेश का स्वागत किया और दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे की समस्या पर तवज्जो देने का वायदा किया.
• भारत चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने के तरीकों पर चर्चा को तैयार है.
• भारत से उच्च गुणवत्ता वाली औषधि, सूचना प्रौद्योगिकी सेवा के लिए चीन के बाजार को खोला जाना चाहिए.
• सुरेश प्रभु ने कहा की दोनों देश को पर्यटन तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए.
भारत के साथ व्यापारिक संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बेहतर है और बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए लाभप्रद है. चीन ने कहा कि व्यापार संबंधों पर भारत के साथ स्पष्ट और प्रभावी बातचीत केवल दोनों देशों के बीच ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी. भारत-चीन संयुक्त आर्थिक समूह दोनों पड़ोसी देशों के बीच सबसे पुराना और अहम वार्ता तंत्र है. गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से अक्टूबर में चीन के साथ व्यापार घाटा 36.73 अरब अमेरिकी डॉलर पर रहा.
भारत में दूरसंचार एवं विद्युत जैसे विस्तार करते क्षेत्रों में तैयार वस्तुओं की मांग पूरा करने में चीन के ऊपर निर्भरता इस व्यापार घाटे का मुख्य कारण है.
पृष्ठभूमि:
संयुक्त आर्थिक समूह को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीजिंग दौरे के दौरान दिसंबर 1988 में गठित किया गया था. वित्त वर्ष 2011-12 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 75.45 अरब डॉलर रहा था. भारत का निर्यात 17.90 अरब डॉलर और आयात 57.55 अरब डॉलर रहा था. भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा वर्ष 2016-17 में वर्ष 2015-16 के 52.69 अरब डॉलर से मामूली कम होकर 51 अरब डॉलर रहा था.
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