भारत और फ्रांस ‘गगनयान’ के अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन अल्फा जैसे उपकरण प्रदान करने के लिए चर्चा के अंतिम दौर में हैं.
फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी, नेशनल सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज (CNES) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, चर्चाएं अंतिम दौर में हैं और इस बारे में जल्दी ही एक घोषणा होने की संभावना है. इस अधिकारी ने यह भी पुष्टि की है कि, मिशन अल्फा के लिए इंस्ट्रूमेंटेशन पर काम चल रहा था.
मिशन अल्फा एक फ्रांसीसी अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेस्केट के मिशन को दिया गया नाम है, जिसके तहत अगले साल की शुरुआत में, क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरते हुए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना किया जाएगा.
मुख्य विशेषताएं
• इसरो और सीएनईएस, गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों को आवश्यक उपकरण प्रदान करने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसेकि मिशन अल्फा के दौरान फ्रांसीसी अंतरिक्ष यात्री थॉमस पेस्केट द्वारा उपयोग किये जायेंगे.
• नवंबर, 2016 और जून, 2017 के बीच अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने बिताने वाले पेस्केट, वर्तमान में क्रू अल्फा के लिए क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान और स्टेशन सिमुलेटर के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिससे वे आईएसएस में वापस आ जाएंगे.
• उनके इस नए मिशन को सीएनईएस के साथ साझेदारी में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता के बाद ’अल्फा’ नाम दिया गया है, जिसके लिए 27,000 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं. इन सभी प्राप्त प्रविष्टियों में 47 बार 'अल्फा' नाम का उल्लेख था.
• भारत के गगनगायन मिशन के लिए भारतीय वायु सेना के चार शॉर्ट-लिस्टेड पायलट और भावी अंतरिक्ष यात्री वर्तमान में रूस में प्रशिक्षण ले रहे हैं.
महत्व
फ्रांस में अंतरिक्ष चिकित्सा के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र है और इसमें फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस मेडिसिन और फिजियोलॉजी स्पेस क्लिनिक भी शामिल हैं, जो सीएनईएस की सहायक कंपनी है, जहां अंतरिक्ष सर्जन्स को प्रशिक्षण दिया जाता है. कोविड -19 का खतरा कम हो जाने के बाद, वर्ष 2020 में भारतीय अंतरिक्ष सर्जन प्रशिक्षण के लिए फ्रांस जाने वाले हैं.
मिशन अल्फा
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने और वहां की गतिविधियों के समन्वय के लिए यूरोपीय वैज्ञानिकों को अनुमति देने के लिए उपयोगकर्ता सहायता और संचालन केंद्र (USOC) की स्थापना की है. इन केंद्रों में से एक, माइक्रोग्रैविटी एप्लिकेशन और स्पेस ऑपरेशंस (CADMOS) के विकास का केंद्र सीएनईएस के टूलूज़ स्पेस सेंटर में स्थित है.
CADMOS केंद्र अमेरिका, यूरोप और रूस में स्थित जमीनी विभागों और अंतरिक्ष यात्रियों का समर्थन करने वाली विज्ञान टीमों के बीच एक संपर्क केंद्र है, क्योंकि वे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान ही रियल टाइम में अपने एक्सपेरिमेंट्स करते हैं.
पृष्ठभूमि
भारत और फ्रांस अंतरिक्ष के क्षेत्र में आपसे में घनिष्ठ सहयोग करते हैं. इन दोनों ही देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां लगभग 10,000 करोड़ रूपये के ‘गगनयान मिशन’ पर भी सहयोग कर रही हैं, जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजना है. फ्रांसीसी फ़्लाइट सर्जन ब्रिजिट गोडार्ड भारतीय चिकित्सकों और इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए वर्ष 2019 में भारत आये थे.
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