भारत और पाकिस्तान ने 24 अक्टूबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये है. भारतीय प्रतिनिधि का नेतृत्व गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने किया तथा पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल मौजूद थे.
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य समझौता हो गया है. इस कॉरिडोर का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 09 नवंबर 2019 को करेंगे. भारत और पाकिस्तान के अधिकारी जीरो प्वाइंट पर पहुंचे तथा वहां समझौते पर हस्ताक्षर किये.
मुख्य बिंदु
• श्रद्धालुओं का पहला जत्था 5 नवंबर 2019 को और दूसरा जत्था 6 नवंबर 2019 को रवाना होगा.
• पाकिस्तान ने प्रतिदिन पांच हजार श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब में माथा टेकने की इजाजत दी है.
• यदि प्रत्येक साल 18 लाख सिख श्रद्धालु जायेगे तो पाकिस्तान को 259 करोड़ रुपए मिलेंगे.
• सभी भारतीय एवं भारतीय मूल के श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग कर सकेंगे. श्रद्धालु करतारपुर की वीजा फ्री यात्रा कर सकेंगे. उन्हें बस एक वैध पासपोर्ट की जरुरत पड़ेगी.
• श्रद्धालु अपने साथ अधिकतम 11 हजार रुपये और सात किलोग्राम का एक बैगेज ले जा सकेंगे. श्रद्धालु को गुरुद्वारा से आगे जाने की इजाज़त नहीं होगी.
• यह यात्रा श्रद्धालु सुबह प्रारंभ करेंगे तथा उसी दिन वापस लौट जायेगे. यह कॉरिडोर पूरे साल खुला रहेगा. यह केवल कुछ चुनिंदा दिनों में ही बंद रहेगा. इसकी घोषणा पहले कर दी जायेगी.
समझौते पर हस्ताक्षर
पाकिस्तान ने भारत से करतारपुर गुरुद्वारा आने वाले हरेक श्रद्धालु पर 20 डॉलर का सर्विस शुल्क लगाने की पेशकश की. अब श्रद्धालुओं को करतारपुर जाने हेतु 20 डॉलर (लगभग 1420 रुपए) चुकाने होंगे. गुरुनानक देव ने यहां अपनी जिंदगी के अंतिम 18 साल बिताए थे. समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ ही करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन का फ्रेमवर्क पूरा कर लिया गया है.
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करतारपुर क्यों खास है?
सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक करतारपुर कॉरिडोर है. करतारपुर साहिब सिखों के पहले गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्थान था. गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के अंतिम 17 साल 5 महीने 9 दिन यहीं गुजारे थे. उनका सारा परिवार यहीं आकर बस गया था. उनके माता-पिता और उनका देहांत भी यहीं पर हुआ था. इस वजह से यह पवित्र स्थल सिखों के मन से जुड़ा धार्मिक स्थान है.
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