भारत ने वायु सेना की आवश्यकताओं के लिए रूस से एस-400 ट्रंफ हवाई रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए कीमत संबंधी बातचीत पूरी कर ली है. यह खरीद समझौता लगभग 40,000 करोड़ रुपये में तय हुआ है.
इस सौदे को इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका एवं यूरोपीय देशों द्वारा घोषणा की गई थी कि रूस के रक्षा अथवा खुफिया प्रतिष्ठानों से लेन-देन करने वाले देशों और कंपनियों पर दंड लगाया जा सकता है.
एस-400 खरीद क्यों?
भारत विशेषतौर पर लगभग 4000 किलोमीटर लंबी चीन - भारत सीमा पर अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियां खरीदना चाहता है. एस-400 प्रणाली एस -300 का उन्नत संस्करण है. अलमाज़-एन्टे द्वारा उत्पादित यह मिसाइल प्रणाली रूस में साल 2007 से सेवा में है. गौरतलब है कि चीन ने भी रूस से यह मिसाइलें खरीदी हैं. एस-400 ट्रियंफ एंटी मिसाइल सिस्टम से भारत को एक ऐसा कवच मिल जाएगा जो किसी भी मिसाइल हमले को नाकाम कर सकता है. इस सिस्टम के भारत पर होने वाले परमाणु हमले का भी जवाब दिया जा सकेगा.
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एस-400 ट्रम्फ मिसाइल की विशेषताएं
• यह वायुगतिकीय यानी हवा में (एयरोडाइनिमिक) लक्ष्यों के लिए बनाई गई है जो 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन की मिसाइल को निशाना बना सकती है.
• मिसाइल सिस्टम की अधिकतम रफ्तार 4.8 किलोमीटर प्रति सेकंड तक है जबकि इसके नवीनतम संस्करण में यह हाइपरसोनिक गति से ट्रेवल कर सकती है.
• एस-400 लगभग 10,000 फीट (30 किमी) की ऊंचाई तक निशाना साध सकता है. यह अमेरिका की एमआईएम-104 से दोगुनी गति से उड़ान भरती है.
• इसकी तैनाती में 5 से 10 मिनट तक का समय लगता है.
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