भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 फरवरी 2018 को अबुधाबी के शाही प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के साथ लंबी वार्ता की. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पांच समझौते हुए.
इन समझौते में भारतीय तेल कंपनियों के संघ को समुद्रगामी तेल रियायत में 10 फीसदी हिस्सेदारी देने वाला एक ऐतिहासिक समझौता भी शामिल है. इसके साथ ऊर्जा क्षेत्र, रेलवे, श्रमशक्ति और वित्तीय सेवाओं के लिए दोनों देशों के बीच समझौते हुए.
भारत और यूएई के मध्य हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन
• लोअर जाकुम कंसेशन में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए भारतीय पक्ष एवं आबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के मध्य हुए समझौता ज्ञापन. यह रियायत 2018 से 2057 तक अगले 40 वर्षों तक होगी.
• समझौते के तहत आबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के पास 60 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी बाकी 30 प्रतिशत अन्य अंतरराष्ट्रीय तेल कम्पनियों की हिस्सेदारी होगी. भारत द्वारा यूएई में तेल के क्षेत्र में यह पहला निवेश है.
• भारत सरकार एवं यूएई की सरकार ने श्रम शक्ति के क्षेत्र में भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किय हैं. इसके तहत यूएई में अनुबंध पर कार्यरत श्रमिकों को बेहतर जीवन प्रदान करना उद्देश्य है.
• इस समझौता ज्ञापन के तहत मौजूदा श्रम समस्याओं को समाप्त करने, श्रमिकों की तस्करी तथा श्रमिकों के लिए शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए श्रम संबंधी ई-प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने के लिए मिलकर काम करेंगे.
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• तकनीकी क्षेत्र में भी भारत एवं यूएई के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. एमओयू का लक्ष्य बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विशेष रूप से रेलवे में सहयोग करना है.
• इससे संयुक्त परियोजनाओं, ज्ञान साझाकरण, संयुक्त अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के विकास में सुविधा प्राप्त होगी. इसमें सहयोग तंत्र को संस्थागत बनाने के लिए संयुक्त कार्यदल का गठन करने की भी परिकल्पना की गई है.
• वित्तीय क्षेत्र में द्विपक्षित समझौते के लिए समझौता ज्ञापन किया गया. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एवं आबू धाबी सिक्योरिटीज एक्सचेंज के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. इसका उद्देश्य दोनों देशों के मध्य वित्तिय एवं वाणिज्य गतिविधियों को बढ़ाना है.
• इस दौरान जम्मू एवं कश्मीर तथा डीपी वर्ल्ड में भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. इसका उद्देश्य यूएई द्वारा जम्मू में एक लॉजिस्टिक पार्क स्थापित करना है.
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