भारत में ‘लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेब आब्जर्वेटरी’ (लीगो) स्थापित करने के लिए भारत और अमेरिका ने 1 अप्रैल 2016 को एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये.
इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लीगो वैज्ञानिकों की मौजूदगी में परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव शेखर बसु और अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) निदेशक फ्रांस काडरेवा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• ये भूगर्भीय तरंग खगोल विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर अग्रिम अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
• इससे लंबे समय से प्रतीक्षित तीसरे लीगो इंटरफेरोमीटर के निर्माण से गुरूत्वाकषर्ण तरंगों के स्रोतों का सटीक पता लगाने और संकेतों के विश्लेषण करने के वैज्ञानिकों की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार होगा.
• ये 2023 तक काम करने लगेगा.
• केंद्रीय कैबिनेट ने मार्च 2016 मे भारत को तीसरे लीगो इंटरफेरोमीटर निर्माण को मंजूरी प्रदान किया था.
• इस परियोजना से वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों को भूगर्भीय तरंग के क्षेत्र में गहराई से शोध करने का अवसर मिल सकेगा और खगोल विज्ञान के नये आयाम के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अमेरिका में दो लीगो वेधशालाएं हैं जो हैनफोर्ड, वाशिंगटन और लिविंग्सटन, लूसियाना में हैं. इनकी स्थापना अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन ने की है. इसकी कल्पना, निर्माण एवं संचालन कैल्टेक एवं एमआईटी द्वारा किया जाता है.
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