भारत ने ‘क्विक रिएक्शन मिसाइल’ का सफल परीक्षण किया

क्विक रिएक्शन मिसाइल का निर्माण डीआरडीओ ने भारत इलेक्ट्रो्निक लिमिटेड और भारत डायनामिक लिमिटेड के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए किया है.

Feb 27, 2019, 09:54 IST
India successfully test fires Quick Reaction Surface to-Air Missile
India successfully test fires Quick Reaction Surface to-Air Missile

भारत ने 26 फरवरी 2019 को ज़मीन से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन मिसाइल (QRSAM) का ओडिशा के तट से सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सेना के लिए विकसित की जा रही इन दो मिसाइलों का परीक्षण किया है.

इस मिसाइल का निर्माण डीआरडीओ ने भारत इलेक्ट्रो्निक लिमिटेड और भारत डायनामिक लिमिटेड के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए किया है. इस मिसाइल को भारतीय रक्षा पंक्ति में बेहद अहम और ख़ास माना जा रहा है.

क्विक रिएक्शन मिसाइल की विशेषताएं

•    हर मौसम में काम करने वाली इस स्वदेशी मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर है, जो तुरंत टारगेट को ध्वस्त  कर सकती है.

•    परीक्षण को पूरी तरह से सफल बताते हुए डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि परीक्षण के दौरान मिशन के उद्देश्यों को पूरा किया गया.

•    अलग-अलग ऊंचाइयों और स्थितियों से दो मिसाइलों का परीक्षण किया गया.

•    दो मिसाइलों का परीक्षण भिन्न परिस्थितियों में किया गया औऱ दोनों कामयाब रहे. इस दौरान मिसाइल की ऐरोडायनामिक्स, प्रोपल्सन, ढांचागत प्रदर्शन और उच्च मैनुवर क्षमता को परखा गया.

•    परीक्षण के दौरान मिसाइल के रेडार, इलेक्ट्रोआप्टिकल सिस्टम्स, टेलीमीट्री, आदि के परीक्षण पैमाने सटीक आंके गये.

•    इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारतीय सेना जमीन से ही किसी भी संदिग्ध एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, एंटी-शिप मिसाइल, यूएवी, बैलेस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और कॉम्बैट जेट को हवा में ही नेस्तानाबूत कर सकती है.

•    इससे पहले डीआरडीओ ने लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली बराक-8 मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.

•    बराक-8 मिसाइल को नेवल शिप से लॉन्च किया जा सकता है. यह परीक्षण भी ओडिशा के तटवर्ती इलाकों में किया गया था.

 



QRSAM क्या है?

QRSAM अथवा क्विक रिएक्शन मिसाइल डीआरडीओ तथा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड एवं भारत डायनामिक्स द्वारा भारतीय सेना के लिए बनाई गई है. इस मिसाइल का पहला परीक्षण 4 जून 2017 को किया गया था और दूसरा सफल परीक्षण 3 जुलाई 2017 को किया गया था. जमीन से हवा में मार कर सकने के कारण यह भारतीय थल सेना के लिए एक अहम रक्षा उपकरण है.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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