भारत ने 1 मार्च 2017 को ओडिशा स्थित अब्दुल कलाम आइलैंड से पृथ्वी सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इसका निर्माण एवं विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया है.
यह प्रणाली राडार पर दुश्मन की मिसाइल के आने का सिग्नल प्राप्त करने के बाद उस पर निशाना लगा सकती है. परीक्षण हेतु दुश्मन की मिसाइल को ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण रेंज से छोड़ा गया था.
पृथ्वी मिसाइल को उन्नत वायु रक्षा इंटरसेप्टर घोषित किया गया है. यह भारत की विश्वसनीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का अहम भाग है. पृथ्वी के भारतीय रक्षा प्रणाली में शामिल हो जाने से भारत उन चार देशों में शामिल हो गया है जिनके पास यह प्रणाली है.
भारत के आलावा इसी प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली अमेरिका, रूस एवं इज़राइल के पास है. इससे पूर्व भारत ने पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (पीडीवी) इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.
पृथ्वी मिसाइल
• यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है.
• इसकी लम्बाई 7.5 मीटर है तथा यह मिसाइल ठोस रॉकेट इंजन से चलती है.
• पृथ्वी मिसाइल में इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर भी लगाए गये हैं जिससे यह तकनीकी रूप से काफी सक्षम हो गयी है.
• इंटरसेप्टर मिसाइल के लिए पृथक मोबाइल लॉन्चर, सुरक्षित डाटा लिंक तथा ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया गया है.
• डीआरडीओ के वैज्ञानिकों द्वारा अधिक ऊंचाई पर मौजूद मिसाइल के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस और कम ऊंचाई की मिसाइल को मार गिराने के लिए एडवांस एयर डिफेंस प्रणाली विकसित की गयी.
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