विदेश मंत्रालय ने यह बताया कि, भारत-सूरीनाम संयुक्त आयोग की 7 वीं आभासी बैठक दोनों देशों द्वारा 2 दिसंबर, 2020 को आयोजित की गई थी. इस बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने, राजनीतिक संवाद को गहरा करने में मौजूदा प्रणाली के महत्व पर चर्चा करने के साथ-साथ बहुपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान किया.
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इस आभासी बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश राज्य मंत्री, वी. मुरलीधरन के साथ, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, सूरीनाम गणराज्य के राजदूत अल्बर्ट आर. रामदीन ने की.
मुख्य विशेषताएं
- इस बैठक के दौरान, मंत्रियों ने व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भारत और सूरीनाम के संबंधों को नई गति देने की पुष्टि की.
- इससे स्वास्थ्य, रचनात्मक प्रतिष्ठानों, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, खनन, कृषि, रक्षा, कांसुलर सहयोग और विकास साझेदारी, संस्कृति और शिक्षा की स्थापना और इन दोनों देश लोगों के परस्पर संबंधों को को मजबूत करने के लिए सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
- विभिन्न पाइपलाइन परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई क्योंकि दोनों देशों ने यह कहा कि वे इन योजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए तत्पर हैं.
- भारत और सूरीनाम ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों में आपसी समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार शामिल हैं.
- एक समझौते के मुताबिक, इस संयुक्त आयोग की अगली बैठक वर्ष 2022 में पारामारिबो में, इन दोनों देशों के लिए सुविधाजनक तारीख पर आयोजित की जाएगी.
भारत और सूरीनाम के आपसी संबंध: पृष्ठभूमि
भारत और सूरीनाम के बीच राजनयिक संबंध वर्ष, 1976 में स्थापित किए गए थे और भारतीय दूतावास वर्ष 1977 में पारामारिबो में खोला गया था. जबकि सूरीनाम ने वर्ष, 2000 में नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला.
इन दोनों देशों के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत-सूरीनाम का संयुक्त आयोग वर्ष, 1992 में स्थापित किया गया था. सूरीनाम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए वर्ष, 1998 से भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है. आर्थिक क्षेत्र में, इन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल 228.49 मिलियन डॉलर था.
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