भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) का चुनाव जीत लिया है. एशिया-प्रशांत श्रेणी में भारत को 188 देशों का समर्थन मिला.
इस जीत के साथ भारत को 12 अक्टूबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मानवाधिकार परिषद का तीन साल के लिए सदस्य चुन लिया गया है. भारत का कार्यकाल 01 जनवरी 2019 से शुरू होगा.
भारत को सबसे ज्यादा वोट:
भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र श्रेणी में था. 18 नए सदस्यों में भारत को सबसे ज्यादा 188 वोट मिले. संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा में मानवाधिकार परिषद के नए सदस्यों को चुना गया. 18 नए सदस्यों को गुप्त मतदान द्वारा पूर्ण बहुमत के आधार पर चुना गया. परिषद में चुने जाने के लिए किसी भी देश को कम से कम 97 वोटों की जरूरत होती है.
कुल पांच सीटें:
एशिया-प्रशांत क्षेत्र से मानवाधिकार परिषद में कुल पांच सीटें हैं जिनके लिए भारत के अलावा बहरीन, बांग्लादेश, फिजी और फिलीपीन ने अपना नामांकन भरा था.
भारत पहले भी 2011-2014 और 2014 से 2017 दो बार मानवाधिकार परिषद का सदस्य रह चुका है. भारत का अंतिम कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को समाप्त हुआ था. यूएन के नियमानुसार, लगातार दो कार्यकाल के तुरंत बाद कोई देश तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकता.
यूएनएचआरसी में कुल सदस्य देश:
यूएनएचआरसी में कुल 47 निर्वाचित सदस्य देश हैं. भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सदस्यों को पांच क्षेत्रीय समूहों में बांटा गया है. अफ्रीकन स्टेट्स में 13 सदस्य, एशिया-पसिफिक में 13 सदस्य, ईस्टर्न यूरोपियन स्टेट्स में 6 सदस्य, लैटिन अमेरिकन और कैरिबियन स्टेट्स में 8-8 सदस्य, जबकि वेस्टर्न यूरोपियन और अन्य स्टेट्स के लिए 7 सीटें निर्धारित हैं.
ये देश नए सदस्य बने:
चुनाव के बाद अफ्रीका क्षेत्र के नए सदस्य बुर्किना फासो, कैमरून, इरिट्रिया, सोमालिया और टोगो बने हैं. ईस्टर्न यूरोपियन ग्रुप में बुल्गारिया और चेक रिपब्लिक ने जीत दर्ज की. लैटिन अमेरिका और कैरेबिया क्षेत्र में अर्जेंटीना, बहामास और उरुग्वे शामिल हैं. वेस्टर्न यूरोपियन और अन्य राज्यों की कैटेगिरी में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और इटली नए सदस्य बने हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मानव अधिकारों की रक्षा करता है एवं उनको बढ़ावा देता है. यह मानवीय गरिमा के सार्वभौमिक आदर्शों के लिए दुनिया की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1946-47 में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् की एक कार्यात्मक समिति के रूप में की थी, जिसका मुख्य कार्य-प्रतिवेदन तैयार करना, अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय बिल, नागरिक स्वतंत्रता, स्त्री दशा एवं मानवाधिकार सम्बन्धी विषयों पर अपनी अनुशंसाएं प्रकट करना था. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 मार्च 2006 को एक नई मानवाधिकार परिषद् के गठन का प्रस्ताव पारित किया. इस 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद् ने 53 सदस्यीय मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया है.
यूएनएचआरसी, महासभा परिषद के उद्देश्यों की प्राप्ति में राष्ट्रों के योगदान और प्रतिबद्धता को देखता हैं. इसके प्रत्येक सीट की अवधि तीन वर्ष होती है. मानवाधिकार उच्चायुक्त संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख मानव अधिकार अधिकारी होते हैं. यूएनएचआरसी, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का एक हिस्सा है, जिसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित हैं.
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