भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा परिवहन विमान ‘सी-17 ग्लोबमास्टर’ 13 मार्च 2018 को पहली बार अरूणाचल प्रदेश के तुतिंग में लैंडिंग की. तुतिंग एयरफील्ड चीन की सीमा के काफी करीब है, ऐसे में इस लैंडिंग को भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है.
वायुसेना के ग्रुप कैप्टन के. रामाराव, विंग कमांडर अमिय कांत पटनायक, विंग कमांडर के त्रिवेदी और उनके साथियों ने सी-17 ग्लोबमास्टर को सफलतापूर्वक लैंडिंग करवाया.
सी-17 ग्लोबमास्टर से संबंधित मुख्य तथ्य:
• सी-17 ग्लोबमास्टर यह विश्व के बड़े मालवाहक जहाजों में से एक है.
• ग्लोबमास्टर कारगिल, लद्दाख और अन्य उत्तरी और उत्तर पूर्वी सीमाओं जैसे कठिन जगहों पर पर आसानी से लैंडिंग कर सकता है.
• इसके अलावा लैंडिंग में परेशानी होने की स्थिति में इसमें रिवर्स गियर भी दिया गया है. विमान चार इंजनों से लैस है.
• यह विमान बेहद गर्म और ठंडे वातावरण में उड़ान भर सकता है.
• ये विमान टैंक से लेकर मिसाइल हर छोटा बड़ा हथियार और सैनिकों को लेकर उड़ान भर सकता है. खासतौर से पहाड़ो में ये विमान छोटी सी हवाई पट्टी पर भी उतर सकता है.
• विमान की कई और खासियत हैं. यह मिसाइल वार्निंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर सपोर्टेड मिशन प्लानिंग सिस्टम से लैस है.
• सी-17 ग्लोबमास्टर एक साथ 188 सैनिकों को ले जा सकता है.
• यह एयरक्राफ्ट 76,657 किलोग्राम का वजन ले जा सकने में सक्षम है. इसकी फ्यूल क्षमता 134,556 लीटर की है.
• इस विमान की लैंडिंग के लिए कम लंबाई के रनवे की जरूरत होती है.
• इसके अलावा ग्लोब मास्टर की सटीक प्रणालियों के कारण इसे हैवी ड्रॉप ऑपरेशनों में आइएल-76 (गजराज) के साथ इस्तेमाल किया जाएगा.
पृष्ठभूमि:
भारत ने अमरीका के साथ 2010 में 10 सी-17 के लिए इसकी डील फाइनल की थी. भारतीय वायुसेना में भारी मालवाहक विमानों के रूप में गजराज और एएन-32 का इस्तेमाल भी किया जा रहा है. अमेरिकी सेना इराक से लेकर अफगानिस्तान तक आंतकवाद के खिलाफ जंग में इसका इस्तेमाल कर रही है. अमेरिकी सेना के पास 218 सी-17 ग्लोबमास्टर हैं. जबकि इस तरह के विशालकाय विमान का इस्तेमाल करने वाले देशों में अमेरिका, रूस और चीन ही हैं.
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