भारतीय नौसेना को 21 सितम्बर 2017 को स्कॉर्पिन सीरीज की पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ मिली. ये पनडुब्बी लेटेस्ट फीचर्स से लैस है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच नौसेना की मौजूदा पनडुब्बियां पुरानी पड़ रही हैं. ऐसे में आधुनिक फीचर्स से लैस यह पनडुब्बी मिलना अहम है.
मझगांव डॉक शिपब्युल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने नौसेना को पनडुब्बी सौंप दी. मेक इन इंडिया के तहत बनी यह पनडुब्बी दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है. इन पनडुब्बियों को फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा कंपनी ने डिजाइन किया है.
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने चीन की क्रेडिट रेटिंग घटायी
कलवरी का नाम टाइगर शार्क पर रखा गया है. भारत में वर्ष 1999 में तैयार प्लान के मुताबिक वर्ष 2029 तक 24 पनडुब्बियां बनाने की योजना बनी. पहले प्रोजेक्ट के तहत स्कॉर्पिन क्लास की 6 पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ. भारत में बन रही कलवेरी क्लास की सभी 6 पनडुब्बी एंटी-शिप मिसाइल तकनीक से लैस हैं. यह मिसाइल पनडुब्बी को ताकत देंगे कि वह खतरे को भांपकर दूर से ही उसे खत्म कर सके.
गौरतलब हो कि भारतीय नौसेना में पहली कलवरी वर्ष 1967 में शामिल हुई थीं. ये भारत की पहली पनडुब्बी थी. ये पनडुब्बी ने 30 साल तक देश की रक्षा के लिए काम किया. स्कॉर्पिन सीरीज की पहली कलवरी में लेटेस्ट फीचर्स हैं. इस पनडुब्बी में लेटेस्ट तकनीक की वजह से ये ज्यादा शोर नहीं करेगी. कलवरी टारपीडो और ट्यूब तरीके से एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल कर सकती है.
गूगल ने एचटीसी स्मार्टफोन कारोबार 1.1 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की
Comments
All Comments (0)
Join the conversation