जलवायु परिवर्तन पर भारत की रणनीति
भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा पांचवा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश है. इसके मद्देनज़र जून 2008 में, भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर पहली राष्ट्रीय कार्य योजना बनायी जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित किया जा सके और वैश्विक परिवेश में खुद को एक हरित राष्ट्र की तरह पेश करे.
भारत दुनिया में CO2 के सबसे बड़े उत्सर्जक देशों में से एक है. येले तथा कोलंबिया द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार भारत पर्यावरण के क्षेत्र में किये गए काम के क्षेत्र में 132 देशों में 126 वें स्थान पर है.
भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा पांचवा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देश है. भारत वैश्विक उत्सर्जन का कुल 5% उत्सर्जन करता है.
भारत का उत्सर्जन 1990 तथा 2005 के बीच में 65% बढ़ा है और इसके 2020 तक 70% होने की उम्मीद है.
अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का उत्सर्जन कम है. भारत ने 1850 से संचयी ऊर्जा से संबंधित उत्सर्जन का केवल 2% ही उत्सर्जन किया है. प्रति व्यक्ति के आधार पर, भारत की उत्सर्जन दर वैश्विक उत्सर्जन दर से कम है.
भारत का महत्त्व
भारत के जलवायु परिवर्तन में महत्त्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत वैश्विक उत्सर्जन का 4% उत्सर्जन करता है था यह 55%. के पैनामे को पार करने के करीब है.विश्व के दो सबसे बड़े प्रदूषक देश अमेरिका और चीन हैं. यह दोनों देश दुनिया का 40% कार्बन उत्सर्जन करते हैं.
जब 55% का पैमाना पार हो जायेगा तो 30 दिन के अन्दर वह देश कानूनी रूप से जलवायु परिवर्तन के अधिनियमों का हिस्सा हो जायेगा.
भारत की जलवायु परिवर्तन संबंधी नीतियाँ
भारत ने जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित कई नीतियाँ बनायी हैं जिससे ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन पर रोक लगती है. जून 2008 में, भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर पहली राष्ट्रीय कार्य योजना बनायी जिसके तहत निम्नलिखित मुख्य मिशन बनाए गए:
• कोपेनहेगन संकल्प के अंतर्गत उत्सर्जन की तीव्रता की कम करना
• 300,000 MW of नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना.
वर्तमान सरकार ने भी स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में भी कई कदम उठाये हैं और सरकार की इस पहल से अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पोजीशन में बदलाव आया है.
भारत सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय को पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में बदला है.
प्रधानमंत्री की अगुवाई में गठित नयी परिषद् ने जलवायु परिवर्तन सम्बंधित कुछ नए कदम उठाये है. जिनमे से मुख्य कदम तटीय क्षेत्र प्रबंधन, वायु ऊर्जा, स्वास्थ्य तथा क्षय से ऊर्जा उत्पादन हैं.
पेरिस समझौता
पेरिस में 195 देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने हेतु दिसम्बर 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये.इन देशो ने वैश्विक औसत तापमान को कम करने की शपथ ली. यह ताप मान औद्योगिक काल के तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होगा तथा आज के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस कम होगा.
इस समझौते के मुताबिक, गरीब देशों तथा द्वीपों को और देशो से छोटे लक्ष्य पूरे करने हैं तथा उनको दुसरे विकसित देशो से सहायता मिलने का भी प्रावधान है.
जलवायु विशेषज्ञों का ये मानना है कि 2 डिग्री सेल्सियस तापमान कम करना भी एक चुनौती होगी. इस समझौते का एक और महत्वपूर्ण पहलू मानवीय क्रियाविधियों से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों को कम करना है.
जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दुनिया को उत्सर्जन रहित बनाना है.
यूएन के जलवायु वैज्ञानिकों के एक पैनल ने यह निर्णय लिया है कि दुनिया का उत्सर्जन रहित होना 2070 तक बहुत जरूरी है.
अब तक भारत समेत 61 देशों ने इस समझौते से सहमत होने की पुष्टि कर दी है.
नवीकरणीय ऊर्जा
संघीय स्तर पर, भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में दो नीतिया लागू की हैं. पहला, ऊर्जा के नवीनीकरण के लिए रणनीतिक योजना. दूसरा, राष्ट्रीय सौर मिशन जो ऊर्जा के नवीनीकरण में भारत के क्षमता बढ़ाएगा.
सौर ऊर्जा
नवम्बर 2014 में, भारत सरकार ने घोषणा की कि 2022 तक भारत में 100 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जायेगा. यह उत्पादन वर्तमान की तुलना में 30 गुना ज्यादा होगा. साथ ही साथ, सरकार ने यह भी लक्ष्य बनाया है की 2019 तक लगभग सभी घरो में सौर ऊर्जा को पहुचाया जायेगा. इसके लिए सरकार ने 25 सौर पार्क बनाने का निर्णय लिया है.
वायु
बारहवी पञ्च वर्षीय योजना ने राष्ट्रीय वायु ऊर्जा मिशन का प्रस्ताव रखा. यह राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन की तरह है. भारत सरकार ने यह घोषणा की कि यह भारत में वायु ऊर्जा का उत्पादन 2022 तक 50,000 मेगावाट से बढाकर 60,000 मेगावाट करना है.
परिवहन
भारत में औसत ईंधन की खपत, 2021-2022 तक 4.8 लीटर पर 100 किलोमीटर हो जाएगी तथा भारत सरकार ने जैव ईधन के कानून की मदद से 20 प्रतिशत ईधन की खपत को एथेनॉल तथा जैव डीजल से करने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा बीएस III वाहनों पर प्रतिबन्ध से भारत में वायु प्रदूषण पर काफी रोक लगने की संभावना है.
स्मार्ट शहर
वर्तमान सरकार ने 100 स्मार्ट शहर बनाने का निर्णय लिया है. इन स्मार्ट शहरों में बेहतर यातायात, प्रणाली, उपयोगिताओं, तथा ऊर्जा नेटवर्क की सुविधायिएँ उपलब्ध होंगी. राष्ट्रीय सतत पर्यावास मिशन के तहत उर्जा संरक्षण निर्माण कोड, आठ राज्यों में वाणिज्यिक इमारते बनाने का आदेश देता है. इसके इसमें अलावा कचरा प्रबंधन, तथा शहरी योजना का भी प्रावधान है.
निष्कर्ष
भारत ने 2030 तक अपने ऊर्जा के उत्पादन को 800 गीगावाट करने का लक्ष्य बनाया है. जो वर्तमान के ऊर्जा उत्पादन का तीनगुना है. यह लक्ष्य पूरा करने के लिए, भारत 320 गीगावाट गैर जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करेगा. इसके अलावा 2032 तक, भारत ने नाभिकीय ऊर्जा का लक्ष्य 63 GW है.
इसीलिए यहाँ कहा जा सकता है की जलवायु परिवर्तन के लिए ऊर्जा का नवीनीकरण भारत के लिए बहुत जरूरी है.
इसीलिए भारत ने 2022 तक, नवीन ऊर्जा का लक्ष्य 175 गीगावाट रखा है. अगर यह लक्ष्य पूरा हो जाता है तो इसके बाद आगे के लक्ष्य पूरे करने में ज्यादा समस्याएँ नहीं आएँगी. इन सब बातो को मद्देनजर रखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए किये जाने वाले प्रयासों में सही दिशा में जा रहा है.
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