कारगिल युद्ध में मुख्य भूमिका निभाने वाली इंसास राइफल्स 20 वर्ष बाद आर्मी से सेवानिवृत्त कर दी जाएंगी. भारत में ही निर्मित इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास /INSAS) राइफल्स 1988 में आर्मी में इंट्रोड्यूस की गई.
भारतीय सेना के पास लगभग दो लाख इंसास राइफल हैं जिनका प्रयोग बॉर्डर और कांउटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस में किया जाता है. सेना के अधिकारियों के अनुसार इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम (इंसास) को नई इम्पोर्टेड असॉल्ट राइफल्स से रिप्लेस किया जाना है.
बॉर्डर और ऑपरेशंस में इस्तेमाल की जाने वाली इन 2 लाख इंसास राइफल्स को रिप्लेस करने हेतु 18 वेंडर्स ने सहमति व्यक्त की है. लगभग एक वर्ष बाद इन इम्पोर्टेड राइफल्स का देश में ही निर्माण किया जाएगा.
इन 18 वेंडर्स में वो कंपनियां भी शामिल हैं, जिनका विदेश में हथियार बनाने वाली कंपनियों के साथ भी अनुबंध है. विदेशी वेंडर्स के साथ भारतीय अनुबंध ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत विदेशी वेंडर्स को ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) में हिस्सा लेने को भी कहा जाएगा.
इसक उद्देश्य भारत में नई असॉल्ट राइफल के निर्माण में मेंटेनेंस और एम्युनिशन स्तर पर मजबूती प्रदान करना है.
इंसास ने लड़ा कारगिल युद्ध-
- वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों ने इंसास राइफल्स का प्रयोग किया.
- आयुध विशेषज्ञों के अनुसार इंसास राइफल्स लम्बी दूरी के लक्ष्य साधने में ज्यादा मारक नहीं रही. यह दुश्मन को केवल घायल करती है.
- वर्ष 1980 की शुरुआत में इंसास राइफल्स पर विचार शुरू हुआ.
- भारत में वेस्ट बंगाल की इच्छापुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में इसका निर्माण किया गया.
- वर्ष 1993 में इंसास राइफल्स के डिजाइन में बदलाव किया गया. वर्ष 1996 में इसे इंडियन आर्मी में नए डिजाइन के साथ शामिल किया गया.
प्रथम वरीयता स्पेशल फोर्सेज को-
- सर्व प्रथम नए हथियार नॉर्थ ईस्ट में तैनात आर्मी को दिए जाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया.
- इसके लिए शीघ्र डिफेंस एक्विजीशन कमेटी के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा.
- स्पेशल फोर्सेज को ऐसे नए और आधुनिक हथियारों से युक्त किया जाना है, जो उनको क्लोज कॉम्बैट सिचुएशन में मदद करे सकें.
- इसके बाद इंसास राइफल्स को बदला जाएगा.
- नई इंसास राइफल्स को प्राप्त करने की प्रक्रिया आवश्यकता के अनुरूप है. खरीद प्रक्रिया आरम्भ किए जाने के बाद इसकी आपूर्ति साल भर में पूरा होने किए जाने का अनुमान है.
नई असॉल्ट राइफल के बारे में-
- नई असॉल्ट राइफल की विशेषता यह है कि यह 500 मीटर की दूरी पर भी दुश्मन का खात्मा कर सकती है और इसकी टेक्नोलॉजी भी बेहतर है.
- 7.62x51 असॉल्ट राइफल्स पाकिस्तानी आर्मी में पहले से ही प्रयोग की जा रही है.
- इसे पाकिस्तान ने जर्मनी की कंपनी हेकलर एंड कोच से खरीदा है.
- जर्मनी की कंपनी हेकलर एंड कोच दुनिया की लीडिंग स्मॉल आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है.
इंसास राइफल्स को बदलने का कारण-
- इंसास राइफल्स का प्रयोग कारगिल युद्ध में किया गया, उस समय इन्हें प्रयोग करने में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा.
- सेना के अधिकारीयों के अनुसार फायरिंग के दौरान गोलियां फंसने और मैगजीन टूटने जैसी कमियां इंसास राइफल्स में लगातार सामने आईं.
- सीआरपीएफ ने भी केंद्रीय गृहमंत्रालय को पत्र के माध्यम से इंसास को रशियन मेड AK-47 या इजरायल मेड X-95 से रिप्लेस करने की मांग की.
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