प्रत्येक साल 02 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस मनाया जाता है. यह दिवस मानव तस्करी को समाप्त करने और मनुष्यों के शोषण के बारे में जागरूकता फैलाने हेतु मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी नवीनतम जानकारी के अनुसार, चालीस मिलियन से अधिक लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं.
यह दिवस वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी, बाल श्रम और आधुनिक गुलामी को समाप्त करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. आधुनिक गुलामी की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन इसे ऋण बंधन, मानव तस्करी, जबरन श्रम और जबरन विवाह माना जाता है. यह मूल रूप से उस स्थिति को संदर्भित करता है जहां कोई शोषण, हिंसा और दुरुपयोग का अनुभव करता है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की जानकारी के अनुसार, लगभग 40.3 मिलियन लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं. इस आंकड़े में जबरन शादी में 15.4 मिलियन और मजबूर श्रम में 24.9 मिलियन लोग शामिल हैं.
• संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि आधुनिक गुलामी के शिकार 4 में से 1 बच्चे हैं.
• ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 के मुताबिक, विश्व भर की तुलना में भारत में गुलामों की संख्या सबसे अधिक थी. यहाँ लगभग 18.3 मिलियन लोग आज भी दासता की बेड़ियों में बँधे हैं.
• अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन रिपोर्ट के अनुसार, वयस्कों का सबसे बड़ा हिस्सा 24 प्रतिशत घरेलू श्रमिकों के रूप में कार्यरत है, इसके बाद निर्माण क्षेत्र 18 प्रतिशत, कृषि एवं मछली पकड़ने 11 प्रतिशत तथा विनिर्माण क्षेत्र 15 प्रतिशत का स्थान आता है.
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अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस के बारे में
अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा में मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति के शोषण विषय पर हुए सम्मेलन में 02 दिसंबर 1929 को पहली बार मनाया गया था.
इस दिन गुलामी के परंपरागत रूपों जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल श्रम, जबरदस्ती शादी तथा सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों को सेना में जबरदस्ती भर्ती से सम्बंधित विषयों पर विचार विमर्श के साथ सफल परिणाम प्राप्त करने की दिशा में सार्थक कदम उठाने पर जोर दिया जाता है.
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