अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: भारत की महिला वैज्ञानिक

Mar 8, 2017, 14:56 IST

इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये गये 104 सेटेलाईटों में भी भारतीय महिला वैज्ञानिकों का अभूतपूर्व योगदान रहा. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2017 के अवसर पर जागरण जोश डॉट कॉम इन महिला वैज्ञानिकों को बधाई देता है.

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की विशेष उपलब्धियों में केवल पुरुष वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि महिला वैज्ञानिकों का भी उतना ही सहयोग रहा है. इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये गये 104 सेटेलाईटों में भी भारतीय महिला वैज्ञानिकों का अभूतपूर्व योगदान रहा.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जागरण जोश डॉट कॉम इन महिला वैज्ञानिकों को बधाई देता है तथा उन पर गौरवान्वित महसूस करता है. आइये जानते हैं इन महिला वैज्ञानिकों के बारे में.

1.    रितु करढाल: वे मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर हैं. वे ज्यादातर सप्ताहांत इसरो में बिताती हैं तथा इसरो की विभिन्न समस्याओं को विचार-विमर्श द्वारा सुलझाती हैं.

2.    मौमिता दत्ता: मंगलयान मिशन के लिए बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रहीं मौमिका ने कोलकाता विश्वविद्यालय से प्रायोगिक भौतिक विज्ञान में एम.टेक की पढ़ाई की है. वे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आरंभ किये गये मिशन मेक इन इंडिया" का हिस्सा बनकर प्रकाश विज्ञान के क्षेत्र में देश की उन्नति हेतु टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

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3.    नंदिनी हरिनाथ: वे इसरो में डि‍प्टी डायरेक्टर पद पर कार्यरत हैं. वे पिछले 20 वर्षों से इसरो में कार्य कर रही हैं तथा निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर हैं. वे मंगलयान मिशन में भी शामिल हैं. उनकी प्रतिबद्धता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग से पहले कुछ दिनों तक वे लगातार काम करती रहीं और एक बार भी घर नहीं गईं.

4.    अनुराधा टी.के: अनुराधा जियोसेट प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर इसरो में सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते वे इसरो की हर महिला वैज्ञानिक के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं.

5.    एन.वलारमथी: भारत के पहले स्वदेश निर्मित राडार इमेजिन उपग्रह, रिसेट वन की लॉन्चिंग का एन.वलारमथी ने प्रतिनिधित्व किया. टी.के अनुराधा के बाद वे इसरो के उपग्रह मिशन की प्रमुख के तौर पर वे दूसरी वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं. उनकी आयु 52 वर्ष है तथा वे तमिलनाडु की निवासी हैं. एन.वलारमथी ऐसी पहली महिला हैं जो रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख नियुक्त की गयीं.

6.    मीनल संपथ: मीनल संपथ इसरो की सिस्टम इंजीनियर के तौर पर 500 वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं. वे प्रतिदिन 18 घंटे तक काम करती हैं. बताया जाता है कि उन्होंने  पिछले दो वर्षो में कोई अवकाश नहीं लिया.

7.    कीर्ति फौजदार: वे इसरो की कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं. वे उपग्रह को उसकी सही कक्षा में स्थापित करने के लिए मास्टर कंट्रोल प्रणाली पर काम करती हैं. वे उस टीम का हिस्सा हैं जो उपग्रहों एवं अन्य मिशनों पर लगातार नज़र बनाए रखती हैं.

8.    टेसी थॉमस: इनका योगदान भारतीय विज्ञान के लिए अभूतपूर्व है. उनकी बदौलत ही भारत ने अग्नि 4 और अग्नि 5 मिशन में सफलता हासिल की. टेसी थॉमस डीआरडीओ के लिए तकनीकी कार्य करती हैं. उनके परिश्रम एवं समर्पण के कारण भारत को आईसीबीएमएस मिसाइल प्रणाली में सफलता हासिल हुई. उन्हें मीडिया में अग्निपुत्री के नाम से भी जाना जाता है.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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