ईरान ने 08 जुलाई 2019 को 2015 में हुए परमाणु समझौते को तोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के अनुसार, ईरान समझौते से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है. इस तनाव को कम करने के लिए फ्रांस ने ईरान में अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला लिया है.
ईरान ने यूरोपीय देशों को प्रतिबंधों में राहत और समझौता को आगे बढ़ाने के लिए 60 दिन का समय दिया था, जो 07 जुलाई को खत्म हो गया. हालांकि, ईरान ने कहा था कि अब हम तय सीमा 3.7% से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन करेंगे. अमेरिका साल 2018 में एकतरफा परमाणु समझौते से अलग हो गया था. उसने इसके बाद ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे.
ईरान ने इससे पहले कहा था कि उसने अमेरिका के करार से बाहर निकलने के विरोध में तय सीमा से अधिक 4.5 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन किया है. ईरान की मांग थी कि परमाणु कार्यक्रम को सीमित रखने के बदले दूसरे पक्ष - फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और रूस -वादे के अनुसार ईरान के आर्थिक लाभ के लिये कदम उठाएं.
साल 2015 में हुए संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्यों और जर्मनी के साथ ईरान की डील हुई थी. इस समझौता में यूरेनियम संवर्धन की सीमा 3.67 प्रतिशत तय की गई थी. यह सीमा परमाणु हथियार बनाने के स्तर से बेहद नीचे है. |
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का बयान:
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन ने कहा है कि हम ईरान सरकार पर तब तक दबाव बनाए रखेंगे, जब तक वह अपने परमाणु कार्यक्रमों और पूरे विश्व में आतंकवाद को समर्थन देने समेत पश्चिम एशिया में हिंसक गतिविधियों को समाप्त नहीं कर देता.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान ने 261 भारतीय कैदियों की सूची सौंपी, इसमे मछुआरे भी शामिल
ईरान के राष्ट्रपति का बयान:
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा था कि यूरोप के देशों को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे परमाणु समझौते को बचाया जा सके. समझौते के तहत ईरान ने अपने यूरेनियम का भंडार 98 प्रतिशत तक घटाकर 300 किलो तक करने का वादा किया था.
आर्टिकल अच्छा लगा? तो वीडियो भी जरुर देखें!
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का बयान:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का मानना है कि ईरान के इन कदमों से न तो उसके आर्थिक लाभ सुरक्षित होंगे और न ही उसके लोगों को इसका फायदा होगा.
उल्लेखनीय है कि ओमान की खाड़ी में जून 2019 में होरमुज जलडमरूमध्य के नजदीक दो तेल टैंकरों अल्टेयर और कोकुका करेजियस में विस्फोट की घटना और ईरान द्वारा अमेरिका के खुफिया ड्रोन विमान को मार गिराने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव शीर्ष पर पहुंच गया है.
यह भी पढ़ें: अमेरिकी सीनेट ने भारत को नाटो सहयोगी देश जैसा दर्जा देने का विधेयक पारित किया
For Latest Current Affairs & GK, Click here
Comments
All Comments (0)
Join the conversation