जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट का नाम अब बदल गया है. अब इसे जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के नाम से जाना जाएगा. केंद्रीय कानून और अधिकारिता मंत्रालय ने 16 जुलाई 2021 को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. अधिसूचना में यह भी साफ किया गया है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक ही हाई कोर्ट रहेगा.
इससे पूर्व जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद हाईकोर्ट का नाम केंद्र शासित जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख हाई कोर्ट कर दिया गया था. यह नाम काफी बोझिल हो गया था. इसी वजह से इस नाम में बदलाव का प्रस्ताव आया था. अधिसूचना के मुताबिक अब यह नाम सरल होने के साथ-साथ अन्य राज्यों के हाई कोर्ट के नाम के अनुरूप है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 16 जुलाई को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन आदेश, 2021 पर हस्ताक्षर के साथ यह बदलाव प्रभावी हो गया. इसी तर्ज पर पंजाब, हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के उच्च न्यायालय को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के नाम से जाना जाता है.
'Common High Court of UT of Jammu and Kashmir and UT of Ladakh' has been changed to 'High Court of Jammu and Kashmir and Ladakh', according to an order notified. pic.twitter.com/OlGsFI0hkB
— ANI (@ANI) July 17, 2021
मंत्रालय ने इससे पूर्व जम्मू कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपालों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से प्रस्ताव पर विचार मांगे थे. दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल ने पिछले साल अक्टूबर माह में ही इस पर सहमति जता दी थी. उसके बाद हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश ने भी 21 नवंबर 2020 को इस प्रस्ताव पर अपनी अनापत्ति दे दी थी.
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019
इस अधिनियम में जम्मू और कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के प्रावधान शामिल हैं. यह अधिनियम 31 अक्टूबर 2019 को अधिनियमित किया गया था. इसके लिए विधेयक 5 अगस्त 2019 को गृह मंत्री, अमित शाह द्वारा पेश किया गया था. इसे लोकसभा द्वारा 06 अगस्त 2019 को पारित किया गया और 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई. इससे पहले अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के दिए गये विशेष दर्जे को समाप्त किया गया था.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय
यह कोर्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए है. इसकी स्थापना 26 मार्च 1928 को जम्मू और कश्मीर के महाराजा द्वारा जारी पेटेंट पत्र द्वारा की गई थी. इसमें न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 17 है, जिनमें से 13 स्थायी न्यायाधीश हैं और 4 अतिरिक्त न्यायाधीश हैं. न्यायमूर्ति पंकज मिथल 04 जनवरी 2021 से इस न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं.
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