शहरी विकास और आवास विभाग ने 21 जून को घोषणा की है कि झारखंड सरकार शहरी अकुशल श्रमिकों के लिए एक रोजगार गारंटी योजना शुरू करने वाली है. यह योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के समानही होगी.
यह योजना राज्य के मुख्यमंत्री, हेमंत सोरेन के दिमाग की उपज है, और इसे मुख्यमंत्री श्रमिक (कामगारों के लिए शहरी रोज़गार मंजूरी) के नाम से जाना जाएगा. इस योजना का उद्देश्य शहरी गरीबों के लिए आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है.
केरल के बाद, झारखंड शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना शुरू करने वाला देश का दूसरा राज्य होगा. केरल सरकार गारंटीकृत रोजगार के लिए अय्यनकाली शहरी रोजगार गारंटी योजना (AUEGS) चलाती है.
क्या है यह नई स्कीम?
इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में अकुशल श्रमिकों के लिए 100 दिन का भुगतान वाला कार्य सुनिश्चित किया जायेगा. इस योजना के तहत जिन लोगों को 15 दिनो के भीतर काम नहीं मिलेगा, यह योजना ऐसे लोगों को भी बेरोजगारी भत्ता प्रदान करेगी,
श्रमिकों को दिया जाने वाला बेरोजगारी भत्ता पहले 30 दिनों में मूल वेतन का एक-चौथाई होगा. श्रमिक बेरोजगारी के दूसरे महीने में मूल वेतन का आधा हिस्सा पा सकेंगे और तीसरे महीने में भी अगर उन्हें काम नहीं मिल पाएगा तो उन्हें पूरा मूल वेतन दिया जायेगा.
इस योजना के तहत, श्रमिकों को शहरी स्थानीय निकायों के तहत काम दिया जाएगा. उन्हें टेलीफोन लाइनों और पाइपलाइनों को डालने के काम के साथ-साथ सफाई कर्मचारियों के तौर पर भी नियोजित किया जा सकेगा.
इस योजना पर झारखंड राज्य सरकार का बयान
विनय कुमार चौबे, राज्य शहरी विकास सचिव ने कहा है कि, यह योजना तैयार कर ली गई है और हम कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि, इस योजना को कुछ महीनों में शुरू किया जा सकता है.
योजना के कुल बजट को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है और राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस बारे में अभी अधिक जानकारी नहीं दी है. राज्य सरकार राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) की मदद से इस योजना के लिए सॉफ्टवेयर पर भी काम कर रही है. योजना के लिए पंजीकृत श्रमिकों को भी मनरेगा की तरह ही जॉब कार्ड मिलेंगे.
लॉकडाउन के बीच लौटने वाले कामगारों के लिए मददगार है यह योजना
एक अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने बताया है कि, यह योजना उन प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने में सहायक होगी जो लॉकडाउन के दौरान झारखंड लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी पहल है. दरअसल, शहरी क्षेत्रों में गरीबों को भी रोजगार गारंटी की जरूरत है और इस नई योजना से बहुत मदद मिलेगी.
राज्य सरकार के अनुसार, मेट्रो शहरों में काम करने वाले पांच लाख से अधिक प्रवासी मौजूदा लॉकडाउन के दौरान झारखंड लौट आए हैं. झारखंड में अधिकांश श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं और इस लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद काम पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं.
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