लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया

Jan 28, 2019, 11:33 IST

लांस नायक नज़ीर अहमद वानी को यह वीरता पुरस्कार दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवाद निरोधक अभियान के लिए मिला है, जिसमें लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के छह आतंकी मारे गए थे.

Lance Naik Nazir Ahmad Wani
Lance Naik Nazir Ahmad Wani

देश की रक्षा करते हुए शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र सम्मान से सम्मानित किया गया. उनकी पत्नी और मां को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर यह सम्मान दिया गया.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मान लेते समय नजीर अहमद वानी के परिजन भावुक हो गए. वानी को मिले इस सम्मान पर उनके परिजनों ने भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया था.

 

अशोक चक्र क्यों दिया गया?

लांस नायक नज़ीर अहमद वानी को यह वीरता पुरस्कार दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवाद निरोधक अभियान के लिए मिला है, जिसमें लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के छह आतंकी मारे गए थे.

अशोक चक्र:

अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का पदक है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है. अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है. इस सम्मान की स्‍थापना 04 जनवरी 1952 को हुई थी.

 

कश्मीर के पहले शख़्स:

वानी कश्मीर के पहले शख़्स हैं जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है. सेना में कई सैनिकों को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है, लेकिन ये पहला मौका है जब आतंकी से सैनिक बने किसी जवान को इतने बड़े सम्मान से नवाजा गया.

 

सेना मेडल से भी सम्मानित:

आतंक की राह छोड़कर सेना का साथ देने वाले नजीर वानी दक्षिण कश्मीर में कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे. आतंकवाद के खिलाफ अभियानों में नजीर वानी की वीरता को देखते हुए उन्हें 2007 में पहला सेना मेडल और फिर 2017 में दूसरा सेना मेडल से सम्मानित किया गया था.

वानी को आतंकवादियों से लड़ने में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए सेना पदक दिया गया.

 

सेना मेडल क्यों दिया जाता है?

सेना मेडल भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के आग्रह पर सैनिकों को “ऐसी असाधारण कर्तव्य निष्ठा या साहस का परिचय देने वाले विशिष्ट कार्यों के लिए दिया जाता है जो कि सेना के लिए विशेष महत्व रखते हों.” सेना मेडल 17 जून 1960 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्थापित किया गया था.

 

नजीर अहमद वानी एक समय खुद आतंकवादी:

जम्मू-कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले नजीर अहमद वानी एक समय खुद आतंकवादी थे. पर कुछ वक्त बाद ही उन्हें गलती का अहसास हो गया और वह आतंकवाद छोड़कर सेना में भर्ती हो गए. उन्होंने वर्ष 2004 में करियर की शुरुआत टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से की थी.

मालूम हो कि 162 टेरीटोरियल आर्मी में बड़े पैमाने पर इख्वानी शामिल हैं. इख्वानी उन्हें कहा जाता है, जो कभी आतंकी होते हैं और बाद में आत्मसमर्पण करके भारतीय सेना में शामिल हो जाते हैं.

 

आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद:

कश्मीर के शोपियां में डेढ़ महीने पहले आतंकवाद विरोधी अभियान वानी शहीद हो गए थे. वानी दक्षिण कश्मीर में कई आतंकवाद रोधी अभियानों में शामिल रहे. 23 नवंबर 2018 को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए लांस नायक वानी को उनके गांव में ही दफनाया गया. उस वक्त उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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