कज़ाख़िस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने पद से दिया इस्तीफा

Mar 20, 2019, 11:37 IST

राष्ट्र के नाम संबोधन में नूरसुल्तान नज़रबायेव ने कहा कि उन्होंने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. यह पद अभी नूरसुल्तान नज़रबायेव के करीबी माने जाने वाले कासीम-जोमात तोकायेव के पास है.

Kazakhstan's president announces resignation
Kazakhstan's president announces resignation

कज़ाख़िस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने 19 मार्च 2019 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वे पिछले 30 साल से देश की सत्ता में थे.

राष्ट्र के नाम संबोधन में नूरसुल्तान नज़रबायेव ने कहा कि उन्होंने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है. यह पद अभी नूरसुल्तान नज़रबायेव के करीबी माने जाने वाले कासीम-जोमात तोकायेव के पास है. वे पूर्व प्रधानमंत्री हैं.

नूरसुल्तान नज़रबायेव ने कहा कि उनके बचे कार्यकाल तक संसद के ऊपरी सदन के स्पीकर कासिम-जोमात तोकायेव कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाएंगे.

सोवियत संघ के विघटन के बाद से नूरसुल्तान नज़रबायेव ने तेल संपन्न देश कज़ाख़िस्तान का कम्युनिस्ट नेता और फिर राष्ट्रपति के तौर पर नेतृत्व किया.  

नूरसुल्तान नज़रबायेव के बारे में:

•   नूरसुल्तान नज़रबायेव का जन्म 06 जुलाई 1940 को हुआ था.

•   सोवियत संघ ने साल 1991 में कज़ाख़िस्तान छोड़ा था और नूरसुल्तान नज़रबायेव तभी से इस एशियाई देश के राष्ट्रपति थे.

•   कज़ाख़िस्तान में बहुत से लोग नूरसुल्तान नज़रबायेव को हीरो तरह देखते हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जो उन्हें अहंकारी तानाशाह मानते हैं.

•   कज़ाख़िस्तान की राजधानी अस्ताना में नूरसुल्तान नज़रबायेव की तस्वीरें हर जगह दिख जाती हैं. इसे बड़े से बर्फ़ीले देश में हवाई अड्डों, सड़कों, स्कूल और चौक-चौराहों पर उनका नाम लिखा हुआ मिलता है.

•   नूरसुल्तान नज़रबायेव मध्य एशिया के उन इकलौते नेताओं में से एक हैं जो 21वीं सदी में अमरीका पर शासन करने वाले तमाम अमरीकी राष्ट्रपतियों से एक से ज्यादा बार मिल चुके हैं.

•   नूरसुल्तान नज़रबायेव कज़ाख़िस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय से पहले ही सत्ता में आ गए थे.

•   वे साल 1980 से साल 1991 के बीच वे कज़ाक कम्यूनिस्ट पार्टी के ताक़तवर फ़र्स्ट सेक्रेटरी बन गए थे.

•   साल 1991 में सोवियत संघ का पतन हुआ था और उन्होंने खुद को नए गणतंत्र के राष्ट्रपति पद के लिए इकलौते उम्मीदवार के तौर पर पेश किया. वे बड़े अंतर से चुनाव जीते.

•   उस चुनाव में नूरसुल्तान नज़रबायेव को 90 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले थे. हालांकि उनका कार्यकाल केवल चार साल का ही था. लेकिन उन्होंने कज़ाख़िस्तान की संसद में एक क़ानून पारित किया जिसमें उन्हें ये छूट दी कि वे आजीवन राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें. कज़ाख़िस्तान के संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति केवल दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बन सकता है.

भारत- कज़ाख़िस्तान:

गौरतलब है कि भारत- कज़ाख़िस्तान के बीच काफी मजबूत संबंध रहे हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने अगस्त 2018 में एक बयान में कहा था की भारत और कज़ाख़िस्तान की रणनीतिक साझेदारी और बहुमुखी संबंध साल 2015 और साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कज़ाख़िस्तान दौरे से मजबूत हुए हैं.

बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अगस्त 2018 में ही कज़ाख़िस्तान का दौरा किया था. उन्होंने अपने दौरे के दौरान अस्ताना में कज़ाख़िस्तान के विदेश मंत्री कैरात अब्द्राखमानोव के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की थी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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