लोकसभा ने 06 अगस्त, 2021 को कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 अर्थात टैक्सेशन लॉज़ (अमेंडमेंट) बिल, 2021 पास कर दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2012 में संशोधन करने और पूर्वव्यापी कर मांग प्रावधान अर्थात रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड प्रोविजन को वापस लेने के लिए यह विधेयक/ बिल पेश किया था.
इस विधेयक में यह प्रावधान करने के लिए आयकर (इनकम टैक्स - IT) अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव है कि, "28 मई, 2012 से पहले लेनदेन होने पर भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए उक्त पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर, भविष्य में कोई कर मांग नहीं उठाई जाएगी". वित्त अधिनियम (फाइनेंस एक्ट), 2012 को 28 मई, 2012 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी.
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021: मुख्य विशेषताएं
- इस कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के माध्यम से भारतीय संपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए वर्ष, 2012 के पूर्वव्यापी कानून के तहत की गई कर मांगों को वापस लेने का प्रयास किया गया है.
- इस विधेयक में यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है कि 28 मई, 2012 से पहले हुए भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए उठाई गई किसी भी मांग को, लंबित मुकदमे को वापस लेने के लिए वचनबद्धता को वापस लेने या प्रस्तुत करने जैसी विशिष्ट शर्तों को पूरा करने और इस आशय का एक वचनबद्धता प्रस्तुत करने पर रद्द कर दिया जाएगा और किसी लागत, नुकसान, ब्याज के लिए कोई दावा दायर नहीं किया जा सके.
- इसमें यह प्रावधान करने के लिए वित्त अधिनियम, 2012 में संशोधन करने का भी प्रस्ताव है कि, वित्त अधिनियम, 2012 की धारा 119 के तहत मांग का सत्यापन, निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने पर, लागू होना बंद हो जाएगा.
महत्त्व
- इस बिल से वोडाफोन और केयर्न एनर्जी सहित कई कंपनियों को लाभ होने की संभावना है, जिन्हें पूर्वव्यापी कर मांग प्रावधान के आधार पर कर का भुगतान करना पड़ा था.
- इस संशोधन का केयर्न एनर्जी PLC और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर भी सीधा असर पड़ेगा.
- इस बिल संशोधन के अनुसार, केंद्र केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से सभी बैक टैक्स मांगों को वापस ले लेगा और इस तरह के लेवी को लागू करने के लिए एकत्र किए गए धन को वापस कर देगा.
पृष्ठभूमि
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष, 2012 में एक फैसला दिया था कि, भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ आयकर अधिनियम, 1961 के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.
- आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधित किया गया था, ताकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को परिवर्तित किया जा सके और यह स्पष्ट किया जा सके कि, विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ भारत में कर योग्य हैं, यदि ऐसे शेयर्स को, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, भारत में स्थित संपत्तियों से उन (शेयर्स) का मूल्य बहुत हद तक प्राप्त होता है.
- वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा किए गए संशोधनों की, मुख्य रूप से इन संशोधनों के आधार पर दिए गए पूर्वव्यापी प्रभाव के संबंध में, हितधारकों ने आलोचना की थी.
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