लोकसभा में 01 जुलाई 2019 को केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षणों के काडर में आरक्षण) विधेयक 2019 पारित हो गया है. इस विधेयक में केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में विभागों के स्थान पर पूरे संस्थान को इकाई मानकर आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान है.
सदन में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इससे यह पता चलता है की मोदी सरकार को कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की भी चिंता है. इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों के सदस्यों के कथन का हवाला देते हुए कहा कि एक तरफ वे कह रहे हैं कि अध्यादेश क्यों लाया गया और दूसरी तरफ वे कहते हैं कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है.
इस विधेयक में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण और उससे संबंधित विषयों का उपबंध का प्रावधान है. |
10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने का निर्णय
केंद्र सरकार ने पहले ही मौजूदा शैक्षणिक वर्ष से योग्य छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीट बढ़ाकर 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने का निर्णय ले लिया था. हालांकि, यह पहली बार है जब केंद्र ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए संकाय भर्ती में 10 प्रतिशत आरक्षित करने का निर्णय लिया है.
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103वां संशोधन
केंद्र सरकार ने संविधान का सम्मान करते हुए 103वां संशोधन किया. इस संशोधन के तहत सामान्य वर्ग के ईडब्लयूएस वर्ग के छात्रों को भी आरक्षण का लाभ देने की कोशिश की है. यह बिल, केंद्र द्वारा पूर्व में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा.
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि इस बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी के प्रो. सौगत राय ने सांविधिक संकल्प प्रस्तुत किया था. इसमें कहा गया था कि यह सभा राष्ट्रपति द्वारा 7 मार्च 2019 को प्रख्यापित केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) अध्यादेश 2019 का निरनुमोदन करती है. सदन ने निशंक के जवाब के बाद अधीर रंजन चौधरी के सांविधिक संकल्प को निरस्त करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी. सरकार इसके लिए इससे पहले अध्यादेश भी लाई थी.
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