मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक करने की घोषणा की. नया वित्तीय वर्ष अपनाने वाला एमपी देश का पहला राज्य बन जाएगा.
प्रमुख तथ्य-
- राज्य विधान सभा का बजट भी दिसंबर के सेशन में ही पेश कर दिया जाएगा.
- मध्य प्रदेश सरकार का वर्तमान वित्तीय वर्ष दिसंबर में समाप्त होगा. राज्य सरकार का बजट सत्र दिसंबर-जनवरी में आयोजित किया जाएगा.
- हर तीन महीने बाद प्रत्येक विभाग का रिव्यू किया जाएगा. सरकार के लेटर हेड और बैनर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के फोटो का लोगो लगाया जाएगा.
केंद्र की फाइनेंशियल ईयर बदलने की तैयारी-
- केंद्र सरकार भी वित्तीय वर्ष को मार्च की जगह जनवरी से ही शुरू करना चाहती है. केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद 150 साल बाद देश नए वित्तीय वर्ष में काम करेगा.
- 1867 में ब्रिटिश सरकार ने वित्तीय वर्ष अप्रैल-मार्च प्रणाली को लागू किया. इससे पूर्व में 1 मई से 30 अप्रैल तक वित्तीय वर्ष का प्रावधान था.
- सरकार का मानना है कि वर्तमान व्यवस्था में सरकार मानसून के असर का एनालिसिस नहीं कर पाती. बजट अलॉट करने में भी परेशानी होती है. निवेश भी प्रभावित होता है.
बदलने होंगे नियम-
- इसके लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े कानूनों में केंद्र और राज्यों को बदलाव करने होंगे.
- केंद्र को गवर्नमेंट अकाउंटिंग रूल्स-1990, जनरल फायनेंशियल रूल्स-2005 और कंपनीज एक्ट-2013, आयकर अधिनियम 1961 में भी बदलाव करना होगा.
- इन सभी में फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत एक अप्रैल से होने की व्यवस्था है.
डॉक्टर शंकर आचार्य कमेटी-
6 जुलाई 2016 को फाईनेंस मिनिस्ट्री के एडवाइजर डॉक्टर शंकर आचार्य कमेटी ने भी वित्तीय वर्ष में बदलाव की सिफारिश की. कमेटी के अनुसार फसल, सरकारी कामकाज, टैक्स अरेंजमेंट्स और डेटा कलेक्शन हेतु बदलाव की आवश्यकता है.
विश्व में 156 देशों में यह प्रणाली लागू-
- दुनिया के 156 देशों में यह प्रणाली लागू है. नई व्यवस्था लागू होने के बाद दुनिया के 156 देश, जिनमे जनवरी से फाईनेंशियल ईयर आरम्भ होता है, से भारत का कोऑर्डिनेशन आसान हो जाएगा.
- उन कंपनियों के साथ भी काम करना आसान होगा, जो जनवरी से फाईनेंशियल ईयर ऑपरेट करती हैं.
वित्तीय वर्ष दिसंबर-जनवरी करने के लाभ-
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के अनुसार फाइनेंशियल ईयर जनवरी से शुरू हुआ तो काम के लिए 4 महीने ज्यादा मिलेंगे. इससे देश में विकास के कामों में और तेजी आएगी.
- इससे देश के किसानों और दूसरे वर्ग को भी काफी फायदा होगा.
- वित्तीय वर्ष में बदलाव के बाद योजनाओं पर काम करने के लिए वक्त ज्यादा मिल सकेगा.
- पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी इलाकों में अभी मार्च से मार्च तक के फाइनेंशियल ईयर की वजह से सर्दियों और बर्फबारी के समय में काम नहीं हो पाता. वर्तमान व्यवस्था में उनके पास काम करने के लिए केवल 6 से 7 महीने ही होते हैं.
- किसानों की बात करें तो उनका काम दिसंबर तक खत्म हो जाता है. लेकिन मंडी या बाजार से फाइनेंशियल ईयर की वजह से पैसा मार्च या अप्रैल तक मिल पाता है.
वर्तमान व्यवस्था में अप्रैल से जून तक योजनाएं बनाते हैं. सितंबर तक अनुदान या योजना का पैसा देना शुरू करते हैं. तब तक सर्दियां शुरू हो जाती हैं. पहाड़ी राज्यों, पूर्वोत्तर में मौसम के चलते उस समय पैसा देने के बाद भी खर्च नहीं किया जा सकता.
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