महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 17 जनवरी 2018 को यह निर्णय किया कि अनाथ बच्चों को भी अब सरकारी नौकरियों में 1% आरक्षण दिया जाएगा.
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने फैसले के दौरान कहा कि अनाथ बच्चों को अपनी जाति का पता नहीं होता ऐसे में उन्हें सरकारी नौकरी में मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में अनाथ बच्चों को आरक्षण में एक प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया गया.
मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के अनुसार अनाथ बच्चों को सरकारी नौकरी का फॉर्म भरते वक्त काफी दिक्कत आती है. उन्हें अपनी जाति का पता न होने के कारण आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता. उन्हें यह लाभ ओपन कैटगरी के तहत दिया गया है.
भारत में आरक्षण
सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अब भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है.
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा विभिन्न अनुपात में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ी जातियों (मुख्यत: जन्मजात जाति के आधार पर) के लिए सीटें आरक्षित की जाती हैं. यह जाति जन्म के आधार पर निर्धारित होती है और कभी भी बदली नहीं जा सकती. जबकि कोई व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है और उसकी आर्थिक स्थिति में उतार -चढ़ाव हो सकता है, लेकिन जाति स्थायी होती है.
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