असम और मिजोरम सीमा विवाद: 27 जुलाई, 2021 को असम सरकार ने अपने राज्य के 05 पुलिस कर्मियों और एक नागरिक की मृत्यु पर अपने राज्य में 03 दिवसीय शोक की घोषणा की है. इन पुलिस कर्मियों और एक असमी नागरिक की मौत असम और मिजोरम की सीमा पर 26 जुलाई को होने वाली गोलीबारी में हो गई थी.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मृतक पुलिस कर्मियों के परिवारों को 50 लाख रुपये प्रति परिवार आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और घायल लोगों को 01 लाख रुपये प्रति घायल आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी. घायल SP को मुंबई में ईलाज करवाने के लिए भेज दिया गया है.
#UPDATE | Assam Govt announces 3-day state mourning as a mark of respect to the five police personnel & one civilian who lost their lives in Assam-Mizoram border clashes yesterday https://t.co/I0JN8eu2g8
— ANI (@ANI) July 27, 2021
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों से इस सीमा विवाद पर बातचीत की है और इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री यह विवाद परस्पर शांति से सुलझाने के लिए सहमत हो गये हैं. अब विवादास्पद क्षेत्र में CRPF के जवानों को तैनात कर दिया गया है.
I called Mizoram CM six times when firing was taking place (at Assam-Mizoram border yesterday). He said 'sorry' & invited me for talks in Aizawl. No one can take even an inch of our land. We're committed to securing our territory. Police are on the border: CM Himanta Biswa Sarma pic.twitter.com/7l3K9BN5Xe
— ANI (@ANI) July 27, 2021
आइजोल में एक अधिकारी ने यह बताया कि, मिजोरम के कोलासिब जिले के उपायुक्त एच. लालथलांगलियाना ने असम के कछार जिला प्रशासन को एक पत्र लिखकर असम सरकार के अधिकारियों और पुलिस द्वारा 10 जुलाई, 2021 को गतिरोध के दौरान आदिवासी लोगों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और अत्याचार का आरोप लगाया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) को भी इस पत्र की प्रतियां भेजी गई हैं.
मिजोरम-असम सीमा विवाद:
असम के कछार DA को लालथलांगलियाना का पत्र – प्रमुख बिंदु
• बिना किसी पूर्व सूचना के, 10 जुलाई, 2021 को असम से बुआर्चेप तक एक सड़क का निर्माण किया गया और पुलिस के सहयोग से असम के अधिकारियों ने मिजो जनजाति के लोगों की फसलों को नष्ट कर दिया. इसके अलावा, नुकसान का विरोध कर रहे आदिवासी लोगों को असम पुलिस कर्मियों ने जबरन बाहर कर दिया.
• 11 जुलाई, 2021 को लगभग 02.40 बजे मिजोरम पुलिस बलों ने सीमा पर सैहापुई वी गांव और असम सीमा पर बुआर्चेप में दो जोरदार धमाकों की आवाज सुनी. इस सिलसिले में मिजोरम के वैरेंगटे पुलिस स्टेशन में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत, एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया था.
मिजोरम-असम सीमा विवाद की पृष्ठभूमि
• पहले वर्ष, 1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) के रूप में और फिर वर्ष, 1987 में एक राज्य के रूप में मिजोरम के अस्तित्व में आने के बाद से ही यह मिजोरम-असम सीमा विवाद चल रहा है.
• ब्रिटिश काल के दौरान मिजोरम को असम का एक जिला लुशाई हिल्स कहा जाता था.
• मिजोरम-असम सीमा विवाद ब्रिटिश काल के दौरान पारित निम्नलिखित अधिसूचनाओं से संबंधित है:
(i) बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR) अधिनियम, 1873 से प्राप्त वर्ष, 1875 की अधिसूचना, के माध्यम से असम के कछार जिले से लुशाई हिल्स (अब मिजोरम) का सीमांकन किया गया था.
(ii) वर्ष, 1933 की अधिसूचना के माध्यम से लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर का सीमांकन किया गया था.
.• मिजोरम का ऐसा मानना है कि, यह सीमांकन वर्ष, 1875 की अधिसूचना पर आधारित होना चाहिए. मिजो नेताओं के अनुसार, वर्ष, 1933 में मिजो समाज से सलाह नहीं ली गई थी. इसलिए वे वर्ष, 1933 की अधिसूचना के खिलाफ हैं.
• इसके विपरीत, असम सरकार वर्ष, 1933 की अधिसूचना का पालन करती है.
• 164.6 किलोमीटर लंबी अंतर्राज्यीय सीमा मिजोरम और असम को सीमांकित करती है. तीन मिजोरम जिले - आइजोल, ममित और कोलासिब असम के तीन जिलों - करीमगंज, हैलाकांडी, कछार के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं.
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