Monkeypox outbreaks: जानें हाल ही में कितने देशों में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किये गए है, कितना खतरनाक है यह वायरस?

May 23, 2022, 11:50 IST

Monkeypox outbreaks: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ये भी चेतावनी दी है कि आने वाले वक्त में ये वायरस वैश्विक स्तर पर फैल सकता है.

Monkeypox outbreaks
Monkeypox outbreaks

Monkeypox outbreaks: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में 12 देशों में कम से कम 92 मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) मिलने की पुष्टि की है. डब्ल्यूएचओ ने ये भी चेतावनी दी है कि आने वाले वक्त में ये वायरस वैश्विक स्तर पर फैल सकता है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार अमेरिका, यूके, स्पेन, पुर्तगाल, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, बेल्जियम, इटली, फ्रांस, नीदरलैंड और स्वीडन में मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) से संक्रमित लोगों की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि इस मामले में अभी तक किसी की मौत की पुष्टि नहीं हुई है.

मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित

डब्ल्यूएचओ के अनुसार 21 मई 2022 तक 92 लेब में मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित सेंपल की पुष्टि हो चुकी है. इसके अतिरिक्त 28 संदिग्ध मामलों की जांच चल रही है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार उन लोगों में जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है उनमें मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि होना एक बहुत बड़ी चिंताजनक बात है.

डब्ल्यूएचओ ने बुलाई आपात बैठक

डब्ल्यूएचओ ने इस संबंध में आपात बैठक बुलाई थी. डब्ल्यूएचओ ने इस बैठक के बाद कहा कि वायरस कई देशों में कुछ जानवरों में मौजूद है जिसका स्थानीय लोगों एवं यात्रियों में कभी-कभार ही प्रकोप होता है. उसने कहा कि डब्ल्यूएचओ एवं उसके साझेदार मंकीपॉक्स फैलने के संबंध में गंभीरता से काम कर रहे हैं.

भारत सरकार अलर्ट मोड पर

बता दें भारत सरकार भी अब अलर्ट मोड में आ गई है. केंद्र सरकार ने एनसीडीसी एवं आईसीएमआर को विदेश में मंकीपॉक्स की स्थिति पर नज़र रखने को कहा है. साथ ही केंद्र सरकार ने प्रभावित देशों से आने वाले संदिग्ध बीमार यात्रियों के नमूने की जांच के निर्देश दिए हैं. बता दें, देश में अब तक इस बीमारी का कोई केस सामने नहीं आया है.

मृत्यु दर की संभावना

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इसमें मृत्यु दर 10 फीसदी तक हो सकती है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि तत्काल कार्रवाई उन लोगों को सूचित करने पर ध्यान केंद्रित है जिन्हें मंकीपॉक्स के संक्रमण का सबसे अधिक खतरा हो सकता है ताकि आगे प्रसार को रोका जा सके.

मंकीपॉक्स क्या है?

बता दें मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो चेचक की तरह ही है. हालांकि, आमतौर पर यह बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं है. यह वायरस पहली बार साल 1958 में बंदरों में पाया गया था. यह मामला इंसानों में पहली बार साल 1970 में दर्ज किया गया था.

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स फैलने का सबसे मुख्य कारण जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, जानवर या वायरस से संक्रमित के संपर्क में आता है. यह वायरस त्वचा, आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है. यह वायरस पशु से इंसानों में काटने या खरोंच के माध्यम से फैल सकता है.

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, सूजन एवं पीठ दर्द शामिल हैं. बता दें मरीजों में आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिन बाद दाने निकल आते हैं. यह दाने अक्सर चेहरे से शुरू होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, जैसे हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में आदि में. दाने में खुजली भी हो सकता है. संक्रमण मुख्यतौर पर दो से चार हफ्ते तक रहता है तथा आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है.

मंकीपॉक्स का क्या है इलाज?

वर्तमान में मंकीपॉक्स के लिए कोई प्रमाणित एवं सुरक्षित इलाज नहीं है. हालांकि मंकीपॉक्स के अधिकांश मामले हल्के होते हैं. बता दें जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने का संदेह है, उन्हें कमरे में अलग-थलग किया जा सकता है. हालांकि, चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में बहुत हद तक प्रभावी साबित हुए हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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