मदर टेरेसा को पोप फ्रांसिस द्वारा संत की उपाधि प्रदान की गयी

Sep 5, 2016, 09:13 IST

मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने का निर्णय वेटिकन सिटी ने उनके दूसरे 'चमत्कार' की पुष्टि होने के बाद लिया था. मदर टेरेसा का पहला चमत्कार था, बंगाल की आदिवासी महिला मोनिका बेसरा को पेट के ट्यूमर से मुक्ति दिलाना. इसके अलावा ब्राजील में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित शख्स के उपचार से जुड़े चमत्कार को भी वेटिकन ने स्वीकार किया.

Mother Teresaअसहाय एवं पीड़ित लोगों के लिए जीवन समर्पित करने वालीं मदर टेरेसा को 4 सितंबर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस द्वारा संत घोषित किया गया.

वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स स्क्वेयर पर धार्मिक कार्यक्रम के बाद पोप फ्रांसिस द्वारा मदर टेरेसा को संत घोषित किया गया. इस अवसर पर कई ईसाई धर्मगुरु उपस्थित थे. सॉन्ग ऑफ होली स्पिरिट के बाद उन्हें यह उपाधि दी गयी.

इस कार्यक्रम में भारत की ओर से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत कई अन्य व्यक्ति मौजूद थे.

मदर टेरेसा को संत की उपाधि

मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने का निर्णय वेटिकन सिटी ने उनके दूसरे 'चमत्कार' की पुष्टि होने के बाद लिया था. मदर टेरेसा का पहला चमत्कार था, बंगाल की आदिवासी महिला मोनिका बेसरा को पेट के ट्यूमर से मुक्ति दिलाना. इसके अलावा ब्राजील में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित शख्स के उपचार से जुड़े चमत्कार को भी वेटिकन ने स्वीकार किया. उन्होंने इन
दोनों पीड़ितों के लिए प्रर्थनाओं के माध्यम से उनके स्वस्थ होने में योगदान दिया.

गौरतलब है कि वेटिकन द्वारा किसी व्यक्ति को उसके कम से कम दो चमत्कारों की पुष्टि होने पर ही संत की उपाधि दी जाती है.

मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर 1997 में 87 वर्ष की आयु में हुआ था. उनके निधन के पश्चात् वर्ष 2003  में पोप जॉन पॉल ने उन्हें धन्य घोषित किया था. संत की उपाधि के लिए चार कदम हैं - भगवान का दूत → आदरणीय → धन्य → संत.

मदर टेरेसा: संक्षिप्त परिचय

•    मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कॉप्जे (अब मेसोडोनिया में) में हुआ. उनका वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था.

•    वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थीं. ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र 12 वर्ष की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वे अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी.

•    महज 18 वर्ष की आयु में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला लिया. इसके उपरांत वह आयरलैंड गयीं जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी. अंग्रेजी सीखना इसलिए आवश्यक था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं.

•    सिस्टर टेरेसा आयरलैंड से 6 जनवरी 1929 को कोलकाता में ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ पंहुचीं. वर्ष 1944 में वह हेडमिस्ट्रेस बनीं.

•    7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वेटिकन से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिल गयी. इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, लंगड़े-लूले, अंधों, चर्म रोग से ग्रसित लोगों की सहायता करना था.

•    भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

•    संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम से सम्मानित किया.

•    मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ. मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार की 1,92,000 डॉलर की राशि गरीबों एवं असहाय लोगों की सहायता के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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