केंद्र सरकार ने 14 मई 2019 को नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत एक त्रिपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर किये. उत्तराखंड में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के रूप में रूद्राक्ष के वृक्ष लगाने हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, एचसीएल फाउंडेशन और इन्टेक के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है.
इस त्रिपक्षीय समझौते में एचसीएल फाउंडेशन, इन्टेक और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के कार्यकारी निदेशक (वित्त) रोजी अग्रवाल की ओर से मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा और परियोजना के कार्यकारी निदेशक जी अशोक कुमार की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए.
लक्ष्य और फायदा:
इस परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड में गंगा के जलग्रहण क्षेत्र में स्थानीय समुदाय और अन्य हितधारकों के सहयोग से 10,000 रूद्राक्ष के पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है. यह उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आय को भी बढ़ावा देने में भी मदद करेगा. इससे लोगों को रोजगार में बढ़ावा मिलेगा तथा बेरोजगारी भी कुछ हद तक दूर होगा.
नमामि गंगे मिशन का उद्देश्य:
नमामि गंगे मिशन का मुख्य उद्देश्य गंगा के आसपास के 97 शहरों और 4,465 गांवों में स्वच्छ पारिस्थितिकी तंत्र हेतु व्यापक और स्थायी समाधान उपलब्ध कराना है. इसके लिए एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी पहल से बहुत कुछ हासिल हो सकेगा.
नमामि गंगे मिशन न सिर्फ नई आधारिक संरचना (इंफ्रास्ट्रक्टर) का निर्माण कर रहा है, बल्कि पुरानी और खराब हो चुके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) का रख-रखाव, संचालन को सुनिश्चित भी करता है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी में पर्यावरण विनियमन और जल की विशिष्ट गुण की निगरानी रखना है.
नमामि गंगे के बारे में:
नमामि गंगे मिशन जून 2014 में शुरू किया गया था. नमामि गंगे एक व्यापक पहल है जो गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण उन्मूलन और संरक्षण के उद्देश्य पर पहले से चल रहे और वर्तमान में शुरू किए गए प्रयासों को एकीकृत करती है. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नदी की सतही गंदगी की सफाई सीवरेज उपचार हेतु बुनियादी ढांचे, नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जन जागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियां सम्मिलित हैं.
नमामि गंगे के तहत 28,377 करोड़ रुपए की कुल लागत से 289 प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 87 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं. 23,158.93 करोड़ रुपए की लागत से 151 सीवरेज प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं, जिनमें गंगा के मुख्य धारा पर 112 और सहायक नदियों पर 39 प्रोजेक्ट है.
रूद्राक्ष और इसकी महत्व के बारे में:
रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज होता है. इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है. रुद्राक्ष चौदह प्रकार के होते हैं. ये बीज मुख्य रूप से भारत एवं नेपाल में कार्बनिक आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाते हैं. रुद्राक्ष अर्द्ध कीमती पत्थरों के समान मूल्यवान होते हैं.
रुद्राक्ष परंपरागत रूप से हिंदू धर्म में प्रार्थना के माला के के रूप में प्रयोग किया जाता है. रुद्राक्ष हिंदू देवता शिव भगवान से जुड़ा हुआ हैं. हालांकि, रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र (संस्कृत:- रुद्र) और अक्सा (संस्कृत:- अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है.
भारत और नेपाल में रुद्राक्ष के माला पहनने की एक बहुत पुरानी परंपरा है. रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है. वे मटर के बीज के रूप में छोटे से बड़े होते हैं. कुछ रुद्राक्ष लगभग अखरोट के आकार तक पहुंचते हैं.
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