हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा नासा के कैसिनी मिशन के अंतिम चरण के अध्ययन से यह पता लगाया गया है कि शनि ग्रह पर पाए जाने वाले छल्लों की उम्र अनुमान से बहुत कम है. अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्षयान से मिले खोज परिणामों के आधार पर यह जानकारी सामने आई है.
मौजूदा समय में कैसिनी मिशन अस्तित्व में नहीं है लेकिन उससे हासिल हुए डाटा के इस्तेमाल से यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा विभिन्न तथ्यों की खोज की गई है.
हमारे सौरमंडल में सूरज से छठे स्थान पर मौजूद ग्रह का निर्माण 4.5 अरब साल पहले हुआ था. ताज़ा शोध के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि के अस्तित्व का अधिकतम समय उन विशेष छल्लों के बिना ही बीता है, जिसके लिए उसे आज जाना जाता है.
नासा के कैसिनी मिशन (NASA Cassini Mission) से प्राप्त जानकारी
• वैज्ञानिकों का मानना है कि संभवत: शनि के चंद्रमाओं के बीच टकराव या एक धूमकेतु के कारण इसका निर्माण हुआ होगा जो ग्रह के नजदीक ही बिखरे हुए हैं.
• वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कैसिनी मिशन के प्रयोगों के अंतिम चरण में शनि और इसके आंतरिक भाग में उपस्थित वलयों के बीच की जानकारियों को इकठ्ठा किया गया.
• इसके तहत छह क्रॉसिंगों के दौरान, ग्रह के छल्लों में उपस्थित पदार्थों की मात्रा का सटीक अनुमान लगाने के लिये पृथ्वी के साथ एक रेडियो लिंक की निगरानी की गई थी.
• शनि के चंद्रमा मीमास के द्रव्यमान का अध्ययन करने पर पता चला है कि शनि ग्रह पर उपस्थित गैसों के विशालकाय छल्ले हाल ही के हैं, जिनकी उत्पत्ति लगभग 100 मिलियन से 10 मिलियन वर्ष पहले हुई है.
• शनि के चंद्रमा ‘मीमास’ के द्रव्यमान का लगभग 40%, जो पृथ्वी के चंद्रमा से 2,000 गुना छोटा है, का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला गया है.
• इससे पूर्व किये गये अध्ययनों में छल्लों का आकार छोटा बताया गया था लेकिन इनकी उम्र का अनुमान लगाने के लिये आवश्यक इनके द्रव्यमान आदि महत्वपूर्ण आँकड़ों का अभाव बना रहा था.
शनि से संबंधित उजागर रोचक तथ्य |
कैसिनी मिशन से प्राप्त जानकारी द्वारा सौरमंडल विज्ञान की गुत्थी को सुलझाते हुए नासा ने बताया कि शनि ग्रह पर महज साढ़े 10 घंटे का ही दिन होता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि शनि ग्रह पर 10 घंटे 33 मिनट और 38 सेकंड का एक दिन होता है. |
कैसिनी मिशन
• नासा द्वारा 15 अक्तूबर 1997 को कैसिनी यान को प्रक्षेपित किया गया था. यह मिशन 15 सितंबर 2017 को समाप्त हो गया था.
• कैसिनी द्वारा शनि और इसके चंद्रमाओं की परिक्रमा तथा इसका अध्ययन किया गया.
• जनवरी 2005 में इस मिशन के द्वारा शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर जानकारी एकत्र करने के लिये ह्यूजेंस प्रोब (Huygens probe) को भी उतारा गया था.
• मिशन के अंत में कैसिनी 22 बार शनि एवं उसके छल्लों के बीच परिक्रमा कर इतिहास के किसी भी अंतरिक्षयान के मुकाबले उनके सबसे करीब गया.
• कैसिनी का उड़ान पथ इन छल्लों के गुरुत्वाकर्षण से कैसे प्रभावित हुआ, इसका अध्ययन कर वैज्ञानिक इन छल्लों के भार एवं अनुमानित उम्र का पता लगा सके.
शनि ग्रह के छल्ले
शनि पर पाए जाने वाले छल्ले सौर मंडल के किसी भी ग्रह की सबसे व्यापक छल्लेदार प्रणाली हैं. इनमें अनगिनत छोटे-छोटे कण पाए जाते हैं, जिनका आकार मिलीमीटर से मीटर तक होता है. माना जाता है कि यह छल्ले शनि ग्रह पर चारो ओर परिक्रमा करते हैं, जो चट्टानी पदार्थों के सूक्ष्म घटकों और बर्फ से बने होते हैं.
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