नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में तारों के बीच पानी की खोज की है. इसे जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की मदद से देखा गया है. यह एक ऐसे बादल है जिनमें पूरे ब्रम्हांड में सबसे अधिक पानी मौजूद रहता है. यह अणुओं से बना एक बादल है, जो धूल, गैस और छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है.
तारों के बीच पानी की खोज से संबंधित मुख्य तथ्य:
• पानी जीवन के लिए सबसे अहम चीजों में शुमार है, इसलिए वैज्ञानिक अब वहां जीवन की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं.
• यह पानी तारों के ग्रहों की छोटी कक्षा तक पहुंचाया जाता है. इन बादलों के भीतर, छोटे धूल कणों की सतहों पर पानी बनाने के लिए ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं.
• यह कार्बन मिथेन बनाने के लिए हाइड्रोजन के साथ जुड़ जाता है.
• यह हाइड्रोजन के साथ नाइट्रोजन बॉन्ड से अमोनिया बनाते हैं. यह अणु धूल के कणों की सतह पर चिपकते हैं, जिससे लाखों वर्षों में बर्फीली परतें जमा करते हैं.
• नीदरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी वैन एम्स्टर्डम के मेलिस्सा मैकक्लोर के अनुसार, यदि हम आण्विक बादल में बर्फ के बनने की जटिल रासायनिक प्रक्रिया को पूरी तरह समझने में सफल हो जाते हैं तो हमें पता चल सकेगा कि एक तारे और उसके ग्रहों के निर्माण में ये बादल किस तरह से शामिल होता है.
• इसके द्वारा स्टार सिस्टम को समझने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन प्रक्रियाओं को समझने के लिए विभिन्न जांचें की जाएंगी.
• इसके परिणामों से उम्मीद है कि हम ब्रह्मांड के कई रहस्यों पर से पर्दा उठाने में सफल होंगे.
बादल:
यह बादल हाइड्रोजन के साथ नाइट्रोजन बॉन्ड से अमोनिया बनाते हैं. यह अणु धूल के कणों की सतह पर चिपकते हैं, जिससे लाखों वषों में बर्फीली परतें जमा करते हैं.
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