India’s 1st Intranasal COVID-19 vaccine: भारत की पहली सुई-मुक्त इंट्रानैजल कोविड-19 वैक्सीन (नाक से दिया जाने वाला टीका) को DCGI से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल गयी है. इसे फार्मा कंपनी भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया है. इस खबर की पुष्टि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने की है. भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने भारत बायोटेक के ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 (चिंपांज़ी एडेनोवायरस वेक्टरेड) रीकॉम्बिनेंट नेज़ल वैक्सीन को CDSCO द्वारा अनुमोदित किया गया है, जो आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग में कोविड-19 के खिलाफ प्राथमिक टीकाकरण के लिए लांच किया गया है.
Virtually inaugurated the Central Government Health Scheme center of Silchar, Assam.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) September 7, 2022
It will serve all Central Government employees and pensioners. PM @NarendraModi Ji's Govt has significantly expanded the CGHS centres & its services across the country. pic.twitter.com/6ME7KBtwYg
भारत बायोटेक नेजल टीका के बारे में:
इस टीके को हैदराबाद स्थित फ़ार्मेसी फर्म भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया है. यह एक नई इंट्रानैसल वैक्सीन है जिसे बिना सुई (इंजेक्शन) की मदद से दिया जाता है. यह एक सुरक्षित और अधिक प्रभावी विकल्प है. कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट में उल्लेख किया गया है कि "एक इंट्रानैसल वैक्सीन एक व्यापक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है. साथ ही यह आईजीजी, म्यूकोसल आईजीए और टी सेल प्रतिक्रियाओं को निष्क्रिय करता है, और संक्रमण को रोकता है. इस टीके को ChAd36-SARS-CoV-S COVID-19 नाम दिया गया है.
कोविड-19 वायरस की इस लड़ाई में इसका विकास महत्वपूर्ण साबित होगा.क्योंकि इन्फ्लूएंजा के समान, COVID-19 संक्रमण भी नाक और मुंह के मार्ग से फेफड़ों तक जाता है. इसलिए इंट्रानैसल वैक्सीन अधिक उपयोगी हो जाती है क्योंकि इसे भी नाक के द्वारा ही दिया जाता है.
इंट्रानैजल कोविड-19 वैक्सीन क्यों अधिक उपयोगी है?
- इसे बिना इंजेक्शन के दिया जाता है जिससे चोट और संक्रमण की सम्भावना समाप्त हो जाती है.
- इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता नहीं होती है.
- इसे अधिक सरलता से बच्चों के साथ-साथ वयस्कों में उपयोग किया जा सकता है.
- इसे बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों में उपयोग किया जा सकता है.
- वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए इसके उत्पादन को अपेक्षाकृत आसानी से बढ़ाया जा सकता है.
भारत बायोटेक ने कैसे किया विकसित?
भारत बायोटेक ने इसे विभिन्न चरणों के परीक्षण के बाद तैयार किया है. प्रथम चरण में इसका क्लिनिकल परीक्षण 18 से 60 वर्ष के आयु समूह वालों पर पूरा किया गया था. इसके दूसरे चरण को प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसन्धान सहायता परिषद (BIRAC) के सहयोग से पूरा किया गया था. साथ ही वैक्सीन का पूर्व-नैदानिक विषाक्तता अध्ययन भी किया गया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation