नासा ने मंगल ग्रह पर बनाई सांस लेने योग्य ऑक्सीजन, जानिए विस्तार से

Apr 23, 2021, 12:03 IST

धरती से सात माह की यात्रा कर 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर पहुंचे पर्सिवरेंस रोवर ने यह अभूतपूर्व खोज करते हुए टोस्टर के आकार के मॉक्सी उपकरण ने 5 ग्राम ऑक्सीजन का उत्पादन किया. 

NASA’s Perseverance Rover Makes Oxygen on Mars for First Time in Hindi
NASA’s Perseverance Rover Makes Oxygen on Mars for First Time in Hindi

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर उस समय इतिहास रच दिया जब उसने लाल ग्रह के वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को शुद्ध करके सांस लेने योग्य ऑक्सीजन में बदल दिया. इस रोवर को लाल ग्रह पर प्रचुर मात्रा में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड से सांस लेने योग्य आक्सीजन बनाने में पहली बड़ी सफलता मिली है.

हालांकि बहुत थोड़ी मात्रा में आक्सीजन तैयार हुई है, लेकिन यह उपलब्धि दूरगामी मानी जा रही है. इससे मंगल पर मानव बस्ती बसाने की राह खुल सकती है. रोवर के साथ पहुंचा रोबोट हेलीकॉप्टर पहले ही इतिहास रच चुका है. धरती से परे किसी दूसरे ग्रह पर इस तरह की यह पहली उड़ान थी.

पहली बार ऑक्सीजन बनाने में मिली सफलता

हालांकि नासा ने यह ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा तैयार की है. इस सफलता को आगे के अभियानों के लिए अहम माना जा रहा है. उन्होंने यह प्रयोग कर दिखाया कि प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से दूसरे ग्रह के वातावरण से मनुष्यों के लिए सांस लेने हेतु ऑक्सीजन बनाई है. नासा ने पर्सीवरेंस रोवर के साथ मॉक्सी नाम के एक उपकरण को भी मंगल पर भेजा गया है. उसे पहली बार ऑक्सीजन बनाने में सफलता मिली है.

5 ग्राम ऑक्सीजन का उत्पादन

धरती से सात माह की यात्रा कर 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर पहुंचे पर्सिवरेंस रोवर ने यह अभूतपूर्व खोज करते हुए टोस्टर के आकार के मॉक्सी उपकरण ने 5 ग्राम ऑक्सीजन का उत्पादन किया. नासा के अनुसार यह ऑक्सीजन एक अंतरिक्ष यात्री के 10 मिनट के सांस लेने के बराबर है. यह पहली बार के पृथ्वी के बाहर किसी दूसरे ग्रह पर सांस लेने योग्य ऑक्सीजन का निर्माण हो सका है.

नासा का मकसद

नासा का मकसद साल 2033 तक मंगल पर मानव को पहुंचाने का है और वह यहां आने वाली इससे संबंधित तमाम चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहा है. इसमें से एक चुनौती मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन का निर्माण करना होगा क्योंकि पृथ्वी से आठ माह के सफर में मंगल ग्रह तक इतनी बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन ले जाना संभव नहीं होगा.

कैसे बनाई ऑक्सीजन

यह उपकरण इलेक्ट्रोलायसिस पद्धति का उपयोग कर असीम ऊष्मा का उपयोग कर कार्बन जाइऑक्साइड से कार्बन और ऑक्सीजन को अलग करता है. मंगल पर इस गैस की कमी नहीं है क्योंकि वहां का 95 प्रतिशत वायुमंडल इसी से बना है. जबकि वहां के वायुमंडल का 5 प्रतिशत हिस्सा नाइट्रोजन और ऑर्गन से बना है और ऑक्सीजन बहुत ही कम मात्रा में है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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