केंद्र सरकार ने देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र (रिसर्च इकोसिस्टम) को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान (नेशनल रिसर्च) फाउंडेशन स्थापित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. इस प्रस्ताव की घोषणा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की.
इस नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को एक छत्र संरचना के रूप में देखा गया है जो अनुसंधान और विकास, शिक्षा और उद्योग के बीच संबंधों में सुधार करेगा.
शिक्षा मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह कहा कि, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना के लिए पांच साल की अवधि में कुल 50,000 करोड़ रुपये का प्रस्तावित परिव्यय निर्धारित किया गया है.
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन: उद्देश्य
• यह राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन मुख्य रूप से ऐसे सभी शैक्षणिक संस्थानों, विशेषकर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, विकसित करने और सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखेगा, जहां अनुसंधान क्षमता अभी प्रारंभिक अवस्था में है.
• यह फाउंडेशन उच्च प्रभाव वाले, बड़े पैमाने पर बहु-जांचकर्ताओं और बहु-संस्थानों को भी निधि देगा और उन्हें अपना पूरा सहयोग देगा.
• यह कुछ मामलों में संबंधित मंत्रालयों, विभागों और अन्य सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं, विशेष रूप से उद्योग के सहयोग से अंतःविषय या बहु-राष्ट्र परियोजनाओं को भी निधि देगा.
• यह अनुदान के माध्यम से देश की विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं को भी निधि देगा और नैनो प्रौद्योगिकी, समुद्र विज्ञान और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी सहित विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च-तीव्रता वाली विषयगत अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना करेगा.
अन्य विवरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के गठन की उम्मीद है.
यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा.
पृष्ठभूमि
नीति आयोग के CEO, अमिताभ कांत सहित लगभग 80 विशेषज्ञों वाले एक पैनल ने इस राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की थी. इस पैनल का गठन प्रधानमंत्री के निर्देश पर किया गया था.
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