संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में वर्ष 2016 में आपदाओं और पहचान एवं जातीयता से संबद्ध संघर्षों के चलते करीब 28 लाख लोग आंतरिक तौर पर विस्थापित हुए.
नॉर्वे शरणार्थी परिषद (एनआरसी) के आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट में विस्थापन की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत का तीसरा स्थान है, इसके बाद चीन और फिलीपीन का स्थान आता हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में संघर्ष एवं हिंसा के चलते 4,48,000 लोग विस्थापित हुए हैं. लगभग 24,00,000 लोग आपदाओं के चलते विस्थापित हुए. रिपोर्ट के अनुसार चीन और फिलीपीन के साथ देश में लगातार सबसे अधिक संख्या में विस्थापन देखा जा रहा है. हालिया वर्षों में विस्थापन मुख्यत: बाढ़ और तूफानी घटनाओं से संबद्ध रहे.
हालांकि भारत के लगभग 68 प्रतिशत क्षेत्र सूखा संभावित, 60 प्रतिशत भूकंप संवेदी और देश के 75 प्रतिशत तटीय हिस्से चक्रवातों एवं सुनामी संभावित क्षेत्र हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, संघर्ष अधिकतर पहचान एवं जातियता से संबद्ध रहते हैं और क्षेत्रीयता एवं जातीयता आधारित संघर्ष समेत यह हिंसक अलगाववाद तथा पहचान-आधारित आंदोलनों के साथ स्थानीय हिंसा का रूप ले लेता है.
भारत की उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि और इसकी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में सुधार के हालिया प्रयास सामाजिक समूहों और शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच की असमानता को समझाने में नाकाम रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया की जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम अब भी लागू हैं और अत्यधिक एवं असंगत बल प्रयोग हेतु किसी भी तरह के दंड के प्रावधान से मिली छूट के चलते मानवाधिकार उल्लंघन होते हैं.
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